प्रखर चोलापुर वाराणसी। कहते हैं वृक्ष धरा के भूषण है, वाकई वृक्ष ही इस धरा के भूषण है, क्योंकि अगर पेड़ पौधे नहीं रहेंगे तो हमें भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और वातावरण शुद्ध ही नहीं होगा। साथ ही सही से वर्षा नहीं होगी, तो पानी की भी किल्लत हो जाएगी। इस कहावत को चोलापुर क्षेत्र के एक ट्रस्ट संकट मोचन सेवा ट्रस्ट के दर्जनों युवाओं ने मिलकर पौधे लगाने का संकल्प लिया।।लेकिन पौधे लगाने का संकल्प सिर्फ लेने मात्र से नहीं होता, उस पौधे का रखरखाव, उसको पानी देना, उसको बाहरी घुमंतू जानवरों से बचाना भी एक प्रकार का बड़ा कार्य होता है। लेकिन अपने इस सभी कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए संकट मोचन सेवा ट्रस्ट के युवाओं ने आगे बढ़कर पिछले काफी समय से 700 से के करीब पौधे लगाए और अलग- अलग कई टीम बनाकर इन पौधों की देखरेख करना, पानी देना और इन्हें बचाने का कार्य किया। बता दें कि आज यह पौधे पेड़ बनकर हरियाली, छाया, फल इत्यादि दे रहे हैं। संकट मोचन सेवा ट्रस्ट से जुड़े सेना में सैनिक की भूमिका निभाने वाले अजगरा गांव के निवासी सतीश फौजी भी इन युवाओं को समय-समय पर अपना सुझाव देते रहते हैं और हौसला अफजाई करते हैं। सतीश का कहना है कि हमें सत्य प्रकाश आजाद जी से काफी प्रेरणा मिली है कि हम लोग इस तरह के कार्य को कर रहे हैं। बता दें कि जो पौधे लगाए गए हैं, पेड़ बनकर फल व छाया दे रहे हैं। ये सब पौधे उधोरामपुर, अजगरा, हाथियर, ताला रजवाड़ी, ताड़पर इत्यादि गांव में फल और छाया प्रदान कर रहे हैं। संकट मोचन सेवा ट्रस्ट के युवा कहते है कि हम लोग सत्यप्रकाश आजाद जी का हमेशा आभारी रहेंगे, क्योंकि उन्होंने हमें पौधे लगाने और उन्हें सिंचने व बड़ा करने का हुनर सिखाया। वाकई कहा जाए तो पौधे लगाना बहादुरी नहीं होती उन्हें सिंचकर बड़ा करने के साथ सुरक्षा करना भी एक बड़ी बहादुरी का और कठिन कार्य है। लेकिन संकट मोचन सेवा ट्रस्ट इस कार्य में बखूबी अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभा रहा है। संकट मोचन सेवा ट्रस्ट के युवा साथियों में सत्यप्रकाश आजाद के साथ राजीत, तेज बहादुर फौजी, जितेंद्र, महेंद्र, जयशंकर, रविकांत, राजेश, सुरेंद्र, मनोज, दिनेश, अनिल इंजीनियर इत्यादि लोग अपना योगदान दे रहे हैं।