– जगत् में महेश से श्रेष्ठ कोई देव नहीं, महिम्न स्तोत्र से श्रेष्ठ कोई स्तोत्र नहीं, ॐ से बढकर कोई मंत्र नहीं तथा गुरु से उपर कोई सत्य नहीं- आचार्य अभिषेक तिवारी
प्रखर ब्यूरो गाजीपुर। जनपद के मुहम्मदाबाद तहसील मुख्यालय के बगल में महादेवा में विराजमान बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव का सावन मास के आखिरी सोमवार को आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी के देख रेख में समस्त जन के कल्याण और बहनों के दिर्घायु व अखंड सौभाग्य हेतु रूद्राभिषेक सम्पन्न किया गया। पूरे सावन के पांचो सोमवार को पंचामृत, दूध, दही, घी, मधु, चीनी एवं रूद्राक्ष से रूद्राभिषेक किया गया। आखरी सोमवार को चीनी और विल्वपत्र से सोमेश्वर नाथ महादेव का अरघा भरा गया। अरघा भरने के बाद बाबा सोमेश्वर नाथ महादेव का भव्य श्रृंगार किया गया। पूरे सावन मास में जन कल्याण हेतु एवं कोरोना महामारी से निजात हेतु सोमेश्वर नाथ धाम महादेवा में निरन्तर पूजन किया गया और यह क्रम आगे भी चलता रहेगा। आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी ने सावन माह के आखिरी सोमवार को अपने संदेश में कहा की “महेशान्नापरो देवो महिम्नो नापरा स्तुतिः। अघोरान्नापरो मन्त्रो नास्ति तत्त्वं गुरोः परम्।” मतलब “जगत् में महेश से श्रेष्ठ कोई देव नहीं, महिम्न स्तोत्र से श्रेष्ठ कोई स्तोत्र नहीं, ॐ से बढकर कोई मंत्र नहीं तथा गुरु से उपर कोई सत्य नहीं।” आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी ने बताया की श्रावण मास में भोलेनाथ शंकर की सादगी का वर्णन करने से शिव प्रसन्न होते हैं। शिव के इस महिम्न स्तोत्रम् में शिव के दिव्य स्वरूप एवं उनकी सादगी का वर्णन है। इस महिम्न स्तोत्र के पीछे अनूठी और सुंदर कथा प्रचलित है वह इस प्रकार है कि
एक समय में चित्ररथ नाम का राजा था। वो परम शिव भक्त था। उसने एक अद्भुत सुंदर बाग का निर्माण करवाया। जिसमें विभिन्न प्रकार के पुष्प लगे थे। प्रत्येक दिन राजा उन पुष्पों से शिव जी की पूजा करते थे। फिर एक दिन पुष्पदंत नामक गन्धर्व उस राजा के उद्यान की तरफ से जा रहे थे। उद्यान की सुंदरता ने उसे आकृष्ट कर लिया। मोहित पुष्पदंत ने बाग के पुष्पों को चुरा लिया। अगले दिन चित्ररथ को पूजा हेतु पुष्प प्राप्त नहीं हुए। फिर हुआ ये कि बाग के सौंदर्य से मुग्ध पुष्पदंत प्रत्येक दिन पुष्प की चोरी करने लगा। इस रहस्य को सुलझाने के राजा के प्रत्येक प्रयास विफल रहे। पुष्पदंत अपनी दिव्य शक्तियों के कारण अदृश्य बना रहे। तो इसका राजा चित्ररथ ने एक अनोखा समाधान निकाला। उन्होंने शिव को अर्पित पुष्प एवं विल्व पत्र बाग में बिछा दिया। राजा के उपाय से अनजान पुष्पदंत ने उन पुष्पों को अपने पैरो से कुचल दिया। इससे पुष्पदंत की दिव्य शक्तिओं का क्षय हो गया। पुष्पदंत स्वयं भी शिव भक्त था। अपनी गलती का बोध होने पर उसने इस परम स्तोत्र के रचना की जिससे प्रसन्न हो महादेव ने उसकी भूल को क्षमा कर पुष्पदंत के दिव्य स्वरूप को पुनः प्रदान किया था।
पूजन में मुख्य रूप से सोनू राय, सुभाष गुप्ता, राजेश गुप्ता, दीपू वर्मा, टोनी वर्मा, प्रिंस अग्रवाल, शेखर राय, राहुल जायसवाल, सत्यम, नीरज राय समेत समस्त शिव भक्त उपस्थित रहे।