ग़ाज़ीपुर- विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर बुजुर्गों के हौसलों को सलाम

प्रखर ब्यूरो गाजीपुर। विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस हर साल 21 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि बुजुर्गों के योगदान को न भूलें और उनको अकेलेपन की कमी महसूस न होने दें। ऐसे ही बुजुर्गों के योगदान का सम्मान करने का दिन भी यह है। जनपद के कुछ ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्होने कोविड-19 महामारी के दौरान अपना योगदान दिया है।
ऐसे ही एक शख्स लालजी पांडेय निवासी पखनपुर नगौरा जिनकी उम्र 70 साल होने के बावजूद कोरोना काल में अपनी उम्र को चुनौती देते हुए लोगों को राहत पहुंचाने में जुटे रहे। इनके फोन पर जैसे ही कोई मदद की गुहार लगाता उसके पश्चात वह खुद और अपने लोगों के साथ राहत सामग्री एवं राशन लेकर निकल पड़ते थे और उस व्यक्ति का पता लगाकर उस तक राशन पहुंचाने का काम किया है। उस दौरान जो भी व्यक्ति बिना मास्क का दिखता उसे मास्क उपलब्ध कराते और जो व्यक्ति सक्षम होने के बाद भी मास्क नहीं लगाता उन्हें मास्क लगाने के लिए सख्ती से कहते हैं। बताते चलें कि लालजी पांडेय भारतीय सेना में हवलदार की नौकरी से सेवानिवृत्त होकर भारतीय जीवन बीमा निगम में कैशियर के पद पर कार्यरत रहे और उससे रिटायर होने के पश्चात समाज सेवा के कार्य में जुटे रहे। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें शुगर की भी प्रॉब्लम है, जिसके लिए वह नियमित दवा लेते रहते हैं। सीनियर सिटीजन की बात करें तो एक नाम उभरकर आता है रामनरेश कुशवाहा का जो भारतीय जनता पार्टी में पूर्व महामंत्री के पद पर कार्यरत रहे हैं। साथ ही शासकीय अधिवक्ता और जिला उपभोक्ता फोरम के सदस्य भी रहे हैं। उम्र के 71 वर्ष गुजार देने के बाद भी इनके हौसले में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने भी ऐसे वक्त में जब 65 वर्ष से ऊपर के लोगों को घरों में रहने की बात कही जा रही थी, उस वक्त भी पीड़ितों की जानकारी होने पर खुद व अपने लोगों के साथ मदद के लिए निकल पड़ते थे। इन सभी के अलावा मरदह ब्लाक के मरदह गांव में रहने वाले जितेंद्र नाथ पांडेय जिनकी उम्र 65 वर्ष हो चुकी है। इतनी उम्र होने के बाद भी वह समाज सेवा में किसी नौजवान से कम साहस और जुनून नहीं रखते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य हैं और माता तपेश्वरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। जब से कोरोना महामारी शुरू हुई तब से वह अपने लोगों के साथ आस-पास के गांव में भ्रमण कर किन लोगों को क्या जरूरत है, इसकी लिस्ट बनाते थे और जरूरत के अनुसार लोगों की मदद करते थे और अन्य जरूरतमंदों की लिस्ट जिला प्रशासन तक पहुंचा कर उन्हें मदद पहुंचाने का कार्य करते थे।