एमपी पुलिस ने गाजीपुर में दो दिन खंगाला ड्रग्स कनेक्शन कोतवाल को खबर ही नहीं!

– बहुत कुछ छुपा रही है गाजीपुर पुलिस

– सत्ताधारी पार्टी के नेता के बेटे ने सब कुछ कराया मैनेज

प्रखर गाजीपुर। बरसों पहले गाजीपुर की एक पहचान अफीम फैक्ट्री के रूप में भी हुआ करती थी । लेकिन शहीदों की धरती नशे के कारोबार से कोसों दूर थी। लेकिन समय बदलने के साथ-साथ गाजीपुर में अपराध भी लगातार बढ़ता रहा और इस अपराध में ड्रग्स माफिया ने भी अपनी एक अलग व्यवस्था बना रखी है। गाजीपुर पुलिस के नाक के नीचे ड्रग्स का कारोबार खुलेआम चलता है। गाजीपुर ही नहीं पूर्वांचल के कई जिलों में ड्रग्स की सप्लाई खुलेआम गाजीपुर के कई तस्करों द्वारा किया जाता रहा है। बता दें कि पूर्वोत्तर के राज्यों खासकर मणिपुर से लाई जाने वाली ड्रग्स गाजीपुर,आजमगढ़, मऊ, बलिया, बनारस, भदोही, सोनभद्र, मिर्जापुर के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी भेजी जा रही है । बता दें कि गाजीपुर के एक तस्कर को एमपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसकी निशानदेही पर एमपी पुलिस की एक टीम गाजीपुर के कोतवाली क्षेत्र में आकर यहां के ड्रग्स कनेक्शन को खंगालती है और गाजीपुर के पुलिस अधिकारियों को इसकी कानो कान खबर नहीं होती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में गाजीपुर के कई पुलिस थानों और चौकियों पर एमपी पुलिस द्वारा संपर्क भी किया गया है। बता दें कि इस संदर्भ में सदर कोतवाली के कोतवाल ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें इस बाबत कोई भी जानकारी नहीं है। प्रखर पूर्वांचल के पास इस मामले में पुख्ता जानकारी है कि मध्य प्रदेश में पकड़े गए गाजीपुर निवासी ड्रग्स तस्कर के साथ ही एमपी पुलिस ने आकर गाजीपुर के करीब आधा दर्जन लोगों के ठिकानों पर जांच पड़ताल किया और पूरे 2 दिन गाजीपुर में रहने के बाद पकड़े गए तस्कर के साथ वापस लौटी है । बड़ा सवाल यह है कि आखिर पुलिस इस मामले को छुपाने में क्यों लगी हुई है। बता दें कि इस मामले में दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के एक ईट भट्ठा व्यवसाई समेत गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र के कई लोगों से पूछताछ हुई है । जिसमें कोतवाली पुलिस लगातार शामिल रही है । लेकिन कोतवाल ने इस मामले में अपने उच्चाधिकारियों तक को विश्वास में नहीं लिया है। मिल रही जानकारी के अनुसार इस पूरे प्रकरण में सत्ताधारी पार्टी के नेता के पुत्र द्वारा सब कुछ मैनेज कराने का काम किया गया है। बता दें कि इस मामले में कई हाईप्रोफाइल लोगों का नाम आने के बाद पुलिस बैकफुट पर नजर आ रही है। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि इस मामले में मामला दबाने के लिए बड़े स्तर पर लेनदेन का भी खेल हुआ है। बड़ा सवाल है कि अगर इस मामले में सच्चाई नहीं है तो फिर सदर कोतवाल पूरे मामले से पल्ला क्यों झाड़ रहे हैं।