नोवा हॉस्पिटल में दलाली करने वाले जौनपुर जिला अस्पताल का संविदा चिकित्सक बर्खास्त व दो फार्मासिस्टो के खिलाफ शासन को पत्र

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जौनपुर जिला चिकित्सालय से एंबुलेंस माफियाओं के साथ मिलकर मरीजों को नोवा हॉस्पिटल वाराणसी भेजते थे

 

प्रखर वाराणसी। नोवा हॉस्पिटल शिवपुर वाराणसी में जौनपुर जिला चिकित्सालय से मरीजों को भेजकर दलाली करने वाले एक संविदा चिकित्सक व दो फार्मासिस्ट को बर्खास्त कर दिया गया है। बता दें कि जांच में इन लोगों पर आरोप सिद्ध होने के बाद यह कार्रवाई की गई । मामले के अनुसार यह तीनों लोग जौनपुर जिला चिकित्सालय से जिन मरीजों को बीएचयू , कबीर चौरा व दीनदयाल हॉस्पिटल के लिए रेफर किया जाता था। यह लोग एंबुलेंस माफियाओं के साथ मिलकर मोटा रकम कमाने के चक्कर में वाराणसी के शिवपुरी स्थित नोवा हॉस्पिटल मरीजों को भेजकर मोटी रकम कमाया करते थे। वही जब मरीज नोवा हॉस्पिटल पहुंचता था, तो नोवा हॉस्पिटल के लोग इतना बिल बना देते थे कि मरीज को अपना गहना खेत इत्यादि बेच कर लाखों में बिल चुकाना पड़ता था। मामले के बाबत जौनपुर जिले के बदलापुर विधायक रमेश मिश्र ने इस पर एक माह पूर्व मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। अभी इस मामले में जांच पड़ताल चल रही है, जल्द ही कोई बड़ी कार्रवाई की जाएगी। बताया जाता है कि नोवा हॉस्पिटल से इन्हें मोटा कमीशन भी मिलता था साथ ही नोवा हॉस्पिटल लाखों में बिल बनाकर मरीजों का खून चूसता है। वही जिला अस्पताल से गंभीर मरीजों को वाराणसी के निजी अस्पतालों में भेजने के आरोप में गुरुवार को जिला अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा के मेडिकल ऑफिसर समेत तीन कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई। संविदा पर तैनात आकस्मिक चिकित्साधिकारी को बर्खास्त कर दिया गया, वहीं दो फार्मासिस्टों के विरुद्ध कार्रवाई हेतु महानिदेशक स्वास्थ्य को पत्र लिखा गया है। बतादे कि एक निजी अस्पताल में प्राइवेट एंबुलेंस के माध्यम से भेजने का खेल अरसे से चल रहा था। यहां से रेफर मरीजों के तीमारदारों से लाखों रुपये वसूली की जाती है। यहां तक कि मरने के बाद भी शव न देकर भुगतान के लिए दबाव बनाया जाता है। इसके एवज में कमीशन मिलता है। मरीजों के शोषण की शिकायत को विधायक रमेश चंद्र मिश्र ने गंभीरता से लिया। एक माह पूर्व रात को अचानक जिला अस्पताल पहुंचकर परिसर में खड़े प्राइवेट एंबुलेंसों और मरीजों को रेफर किए जाने की स्थिति देख मौके से ही जिलाधिकारी को अवगत कराया। इतना ही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की थी। विधायक की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शासन ने दो सदस्यीय टीम जांच के लिए भेजी गई। टीम दो दिन तक चिकित्सकों व एंबुलेंस चालकों और एक प्राइवेट नर्सिंगहोम के कर्मियों से पूछताछ के बाद प्रथम दृष्ट्या तीन लोगों को मामले में दोषी करार दिया गया।