मल्हनी उपचुनाव में कूदी बहू मुंह दिखाई में चाहिए जीत

– श्री कला के चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला हुआ रोचक

– पारसनाथ यादव की मौत के बाद हो रहा है उपचुनाव

प्रखर जौनपुर। जौनपुर की मल्हनी सीट अब धनंजय सिंह के साथ साथ बीजेपी के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है । मल्हनी सपा की मजबूत और परंपरागत सीट है, मल्हनी, पहले रारी के नाम से जानी जाती थी । और रारी की पहचान धनंजय से जुड़ी हुई है। इस उप चुनाव में धनंजय सिंह लगातार मालानी में डटे हुए हैं। बतादें कि धनन्जय सिंह निषाद पार्टी से लड़ना चाहते थे पिछली बार निषाद पार्टी से ही लड़े थे और नम्बर दो पे थे। इस बार उन्हें उम्मीद थी कि बीजेपी यह सीट निषाद पार्टी को दे देगी, लेकिन ऐसा हुआ नही लेकिन चुनाव लड़ने का मन बना चुके धनन्जय सिंह ने अब निर्दल ही ताल ठोंक दिया है। गौरतलब है कि कोरोना काल में लॉक डाउन के समय से ही संघ के साथ मिलकर जनसेवा में जुटे धनजंय ने महीनों तक लोगो के बीच जमकर उठक बैठक लगाई है। क्षेत्र के लोगों को भी विश्वास था कि इस बार बीजेपी धनंजय को निषाद पार्टी के सहारे ही सदन भेजने की व्यवस्था करा देगी लेकिन चुनाव नजदीक आने के बाद बाहुबली के नाम पर बीजेपी ने धनंजय से किनारा करते हुए अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने का फैसला कर लिया और चुनावों की घोषणा से ठीक पहले खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जौनपुर पहुंचकर पूर्व वैज्ञानिक स्वर्गीय लालजी सिंह के नाम पर सिकरारा से बरईपार तक की सड़क का नामकरण कर दिया और उसके उच्चीकरण का आदेश देकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया। लेकिन बीजेपी अब तक अपना प्रत्याशी भी तय नहीं कर पाई है। गौरतलब है कि मल्हनी में उपचुनाव समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे पारसनाथ यादव की मौत के बाद खाली हुई सीट पर हो रहा है। यहां से समाजवादी पार्टी ने पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव को मैदान में उतारा है तो वही बहुजन समाज पार्टी ने जय प्रकाश दुबे को मैदान में उतारा है।
गौरतलब है कि यादव बाहुली की सीट पर बसपा ने ब्राह्मण कार्ड खेला है तो वहीं बीजेपी अभी तक उपा-पोह की स्थिति में है। वही अपनी छवि और लोकप्रियता के सहारे धनंजय निर्दल मैदान में हैं। इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ चुके धनजंय सिंह के समर्थन में अब उनकी पत्नी श्रीकला भी खुलकर मैदान में आ गई हैं। उन्होंने क्षेत्र में भ्रमण के साथ-साथ बड़े बुजुर्गों से अपने पति के लिए जीत का आशीर्वाद मांगना शुरू कर दिया है। बतादें कि श्री कला का संबंध दक्षिण के बड़े राजनैतिक और औद्योगिक घराने से है। श्री कला का संबंध निप्पो समूह से है इनके पिता तेलगांना के हुजुर नगर से निर्दल विधायक हुआ करते थे। गौरतलब है कि राजनैतिक कुशलता उनको विरासत में मिली है। जिसका परिचय देते हुए उन्होंने समाज में अपने संबंधों को मजबूती देने का काम शुरू कर दिया है। बड़े बुजुर्गों के पैर को लपक कर पकड़ना, उनसे आशीर्वाद लेना मुस्कुराकर बच्चों के गालों पर हाथ फेरना इस बात का साफ इशारा कर रहा है कि भविष्य में श्री कला की राजनीति का दायरा और बड़ा होने जा रहा है। बता दें कि श्रीकला ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भी ली हुई है अब सवाल यह खड़ा होता है कि वह मल्हनी से अपने पति के साथ ही खड़ी रहती हैं या फिर पार्टी के साथ कदम ताल करती हैं। लेकिन मल्हनी में उनकी मौजूदगी ने धनंजय को मिलने वाले आशीर्वादों की टोकरी का वजन प्रतिदिन बढ़ा रही हैं।