ग़ाज़ीपुर- फॉर्ड फाउंडेशन की टीम ने गाँवो का किया निरीक्षण, तकनीकी खेती अपनाने पर दिया जोर

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प्रखर ब्यूरो गाज़ीपुर। भारत सरकार के जैव प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तपोषित एवं फॉर्ड फाउंडेशन व आई.सी.ए.आर. -आई.आई.वी.आर. की ओर से संचालित बॉयोटेक-किसान परियोजना के लिए चयनित चार जिलों में से एक गाजीपुर के बरहट, जोगामुसाहिब, सबितापुर, करीमुद्दीनपुर आदि गांवों का भारतीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के पूर्व सचिव, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं फॉर्ड फाउंडेशन अध्यक्ष प्रोफेसर पंजाब सिंह के निर्देश पर फाउंडेशन के सदस्यों ने 26 दिसम्बर 2020 को जमीनी स्तर पर निरीक्षण किया। इस दौरान कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के पूर्व डीन प्रोफेसर आर.एम. सिंह, बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रोफेसर शिवराज सिंह, भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं परियोजना के सह अन्वेषक डॉ• संतोष कुमार सिंह, फॉर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ• उमेश सिंह, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जन सम्पर्क अधिकारी प्रोफेसर राजेश सिंह, राजेश्वरी रिसर्च फाउंडेशन के सचिव डॉ• विनोद कुमार सिंह सहित अन्य लोगों ने किसानों से तकनीकी खेती करने एवं अपनाने पर जोर दिया।
टीम ने सर्वप्रथम बरहट गांव का निरीक्षण किया। इस अवसर पर फॉर्ड फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर पंजाब सिंह ने बरहट गांव में आयोजित किसान संगोष्ठी को ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों को अधिक से अधिक लाभ दिलाना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। फाउंडेशन किसानों को नई तकनीक और बीज वितरित कर रहा है। उस बीज और तकनीक को और किसानों में वितरित करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि किसानों को खेती के जरिये अधिक से अधिक रोजगार देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए तीन नए कानून भी लायी है जो किसानों के लिए लाभदायक है। सरकार का प्रयास है कि इस कानून के जरिए किसानों को उनकी उपज का अच्छा लाभ मिल सके। प्रोफेसर शिवराज सिंह ने एक महिला किसान द्वारा जानवरों द्वारा फसलों को बर्बाद किये जाने के बाबत कहा कि आज किसानों के लिए यह एक बहुत बड़ी समस्या है। यह सरकार के संज्ञान में है। जल्द ही इसका कोई न कोई हल निकाल लिया जायेगा। आज किसानों में जागरूकता की काफी कमी है। किसान कैसे जागरूक हों, इसके लिए हम पूरा प्रयास कर रहे हैं ताकि वे नयी तकनीक और योजनाओं से परिचित हो सकें। बीएचयू कृषि विज्ञान संस्थान के पूर्व डीन प्रोफेसर आर.एम. सिंह ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य नई नई तकनीक एवं प्रजातियां किसानों को उपलब्ध कराना है। ताकि अधिक से अधिक उत्पादन हो सके। इस दौरान भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने कहा कि आज गांवों में सबसे बड़ी समस्या पोषण एवं किसानों के उत्पादों का सही कीमत का न मिलना है। इसकी मुख्य वजह खाद्य पदार्थों का एक निश्चित मात्रा में उपयोग नही करना एवं बाजार का न मिलना। इसी समस्या का समाधान करने के लिए फाउंडेशन एवं सरकार प्रयासरत है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं बॉयोटेक किसान परियोजना के सह अन्वेषक डॉ• संतोष कुमार सिंह ने कहा कि सभी आकांक्षी जिलों में वैज्ञानिक जाकर किसानों को जागरूक करते हैं। ताकि वह नयी तकनीक एवं उन्नत शील विचारों के जरिए किसानों को खेती में उनकी लागत का अच्छा मूल्य मिल सके। उन्होंने कृषक उत्पादक संगठनों (एफ़.पी.ओ.) द्वारा किसानो का क्लस्टर बनाकर कृषि उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने की बात कही। फॉर्ड फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ• उमेश सिंह ने कहा कि बॉयोटेक किसान परियोजना के तहत चयनित चारों जनपदों में किसानों को फेलोशिप का प्रावधान है। इसमें चयनित प्रत्येक जनपद में प्रगतिशील किसानों को विशेषकर महिला किसानों को फेलोशिप  प्रदान की जाएगी जिसके अंतर्गत उनको 10 हज़ार रुपये का अवार्ड  के रूप में दिया जाएगा।
इस अवसर पर एफपीओ रतनदेव किसान प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक उपेंद्र नाथ सिंह, भानु प्रताप सिंह, रविप्रताप सिंह, साथ ही शिवांश कृषक प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक डॉ. रामकुमार राय एवं यंग प्रोफेशनल तुषार कान्त व सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित थे।