ग़ाज़ीपुर- सिद्धार्थ की भारत यात्रा की गाजीपुर से हुई शुरूवात

प्रखर ब्यूरो ग़ाज़ीपुर। रविवार की सुबह सिद्धार्थ सेवार्थ अपनी भारत यात्रा पर गाजीपुर के खुरपी से निकल गये। इस मौक़े पर भारी संख्या मे ग्रामीण पुरूष एवम महिलाओं ने गाँव से बाहर निकल निकल कर अन्न दान का कार्य किया। ना कोई दल ना कोई धर्म सभी मे होड़ सी लगी थी अपने सिद्धार्थ भैया की झोली भरने की।कोई आशीर्वाद देता कोई आशीर्वाद लेता कोई उँगली थाम कर चलता दिखा तो कोई नंगे पाँव चल रहे सिद्धार्थ को गड्ढा पार करवाता दिखा। सिद्धार्थ धोती कुर्ते मे गले मे गमछा डाले आगे बढ़ते रहे। इस यात्रा के दौरान सिद्धार्थ ने कई संकल्प ले रखे हैं जैसे मिट्टी के बर्तन का ही उपयोग केवल और पुरी यात्रा बिना पैर मे कुछ पहने क्यूं की सिद्धार्थ का कहना है यह एक पवित्र काम है। प्रभु का काम है। प्रथम दिन हाला – हरिहरपुर से निकल कर सिद्धार्थ जमानियाँ मे रात्रि विश्राम करेंगे और फिर अगले दिन जमानियाँ मे कार्यक्रम करने के बाद चंदौली के लिए निकल जायेगे। फिर सिद्धार्थ इसी तरफ़ वाराणसी, ज्ञानपुर, प्रयागराज, लखनऊ होते हुए उत्तराखंड और हरियाणा से आगे बढ़ते जायेगे। इस यात्रा के दौरान सिद्धार्थ के छोटे भाई अभिषेक व हिमांशु भी मौजूद रहेंगे। इस यात्रा को कई चरणों मे पुरा किया जायेगा।
यात्रा के दौरान आज किसी ने मिट्टी के बर्तन दिये, किसी ने खाने की सामग्री दी, किसी ने पाँव रंगा तो किसी ने दौरी दी किसी ने यात्रा के दौरान उपयोग के लिए मेडिकल कीट भेंट किया। हाला हरिहरपुर में मां काली का दर्शन पूजन कर सिद्धार्थ की पदयात्रा प्रारम्भ हो गयी। रास्ते में जगह जगह बैंड बाजा के साथ लोगों ने धूप में खडे होकर इस पदयात्रा का इंतजार किया। पदयात्रा के पहुंचने पर हर हर महादेव के जयघोष एवं माल्यार्पण कर सिद्धार्थ सेवार्थ की झोली में एक मुट्ठी अन्न का दान किया। लोग दौड दौड कर झोली में अन्न दान कर रहे थे। लोगों का अन्न दान, शुभकामना एवं आशिर्वाद लेते हुए काफिला आगे बढता रहा।तेज धूप के बावजूद छोटे छोटे बच्चे अपने अभिभावक सिद्धार्थ के अगल बगल नंगे पाव चलते नजर आ रहे थे। इस पदयात्रा में सिद्धार्थ राय को शुभकामना एवम एक मुट्ठी अन्न भेंट करने के लिए गाजीपुर सदर बिधायक संगीता बलवन्त, भाजपा नेत्री रूद्रा पाण्डेय समेत हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे। फतेउल्लाहपुर स्थित गाजीपुर बाराणसी मार्ग पर पहुंचने के बाद सिद्धार्थ ने खुरपी से साथ आये लोगों को वापस बिदा किया और आगे की यात्रा पर निकल गये।