बनारस के घाटों पर शुरू हुआ एक नया धंधा “किराए का कंधा”

शव के अंतिम संस्कार में ₹400 प्रति कंधा जोड़ कर ले रहे कुछ लोग

प्रखर वाराणसी। बनारस के घाटों पर एक शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां पर ₹400 में नौजवान शव को कंधा दे रहे हैं। बता दे कि कोरोना काल में कुछ लोग खौफ की वजह से शव को कंधा नहीं दे पा रहे तो कुछ अन्य मजबूरियों में। काशी के घाटों पर अंतिम संस्कार कि जो तस्वीर देखने को मिल रही है, वह चौंका भी रही हैं और शर्मसार भी कर रही हैं। काशी में अब दाह संस्कार की अंतिम यात्रा के लिए किराए के कंधे लिए जा रहे हैं। मोक्ष की नगरी काशी में अंतिम यात्रा के दौरान शव को प्रणाम करना और कंधा देना पुण्य का कार्य माना जाता है। लेकिन कोरोना काल की इस दूसरी लहर में पीढ़ियों पुरानी यह परंपरा अब बदले हुए रूप में नजर आने लगी है। कई बार अपने स्वजन, परिजन और रिश्तेदार का संक्रमण से हुई मृत्यु के बाद शव लेकर पहुंचने वाले लोगों के पास अर्थी के लिए चार कंधे तक नहीं होते है। कई बार घर में और आसपास इतनी मौतें हो चुकी होती हैं कि लोग घाट तक संक्रमण के डर से आना नहीं ही नही चाहते। ऐसे में घाट पर कुछ लोग किराए के कंधे से लेकर अंतिम संस्कार तक का पैसा पैकेज के रूप जोड़कर बताने लगे हैं। जहा प्रशासन ने नि:शुल्क व्यवस्था की है लेकिन कंधे कहां से लाएं प्रशासन, यह बड़ा सवाल है? बतादे कि सड़क से गंगा घाट तक सीढ़ियों की संख्या कही कम है तो कही कुछ ज्यादा। लेकिन उन सीढ़ियों को पार करके गंगा किनारे चिता तक ले जाने के कंधों का किराया या शुल्क 3000 से 4000 रुपए तक के पैकेज के रूप में है। कुछ लोगो का कहना है कि ऐसे काल की कल्पना उन्होंने कभी जीवन मे नहीं की थी। पितरों को और स्वजनों को कंधा देना पुण्य भी है और कर्तव्य भी। वही शास्त्रों व पुराणों में इस पुण्य का अलग अलग तरीके का भी वर्णन काफी विस्तृत रूप से है। लेकिन शायद लोग मजबूरी में किराए की कंधा ले रहे हैं। मिली जानकारी अनुसार हरीशचंद्र घाट के पास रहने वाले कुछ व्यक्तियो का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन काल मे ऐसा नजारा देखा और ना ही कभी अपने बुजुर्गों से ऐसा सुना कि किसी इंसान को मरने के बाद उसके परिजनों के चार कंधे भी नसीब ना हो। प्रखर पूर्वांचल ने जब बनारस के घाटों पर पंडो और कुछ प्रबुद्ध जनों से बात की तो उन्होंने बताया कि हमने अपने जीवन काल में इस तरह की बात न सोची थी न जेहन में कभी आई कि किसी को चार कंधे भी नसीब नहीं हो रहे और जो लोग ऐसा कृत्य कर रहे हैं। उन्हें भगवान के घर मुह भी दिखाना है। जिस काशी में दान -पुण्य और लोगों की सेवा की जाती है। वहां ऐसे कार्य के बारे में सोचना भी पाप है लेकिन जो लोग ऐसे कार्य कर रहे हैं उन्हें भगवान भी माफ नहीं करेंगे।