दावा! केंद्रीय औषधिक अनुसंधान संस्थान की बनाई दवा से मात्र 5 दिन में ₹600 खर्च कर ठीक होगा कोरोना

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सीडीआरआई ने यह भी दावा किया है कि यह दवा डेल्टा वैरियंट पर भी कारगर है

प्रखर एजेंसी। केंद्रीय औषधिक अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) लखनऊ ने कोरोना की स्वदेशी दवा उमीफेनोविर बनाने का दावा किया है। संस्थान के अनुसार इस एंटीवायरल दवा के तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल सफल रहा है। संस्थान का दावा है कि उमीफेनोविर कोरोना के हल्के व लक्षणरहित रोगियों के इलाज में बहुत प्रभावी है और उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए रोगनिरोधी के रूप में उपयोगी है। यह पांच दिन में वायरल लोड को पूर्ण रूप से खत्म कर देता है। सीडीआरआई के निदेशक प्रो. तपस कुंडू ने बताया कि औषधि महानियंत्रक, भारत सरकार (डीसीजीआई) ने गत वर्ष जून में केजीएमयू, एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के सहयोग से सीडीआरआई को लक्षणविहीन, हल्के और मध्यम कोविड-19 रोगियों पर तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की अनुमति दी थी। सीएसआईआर ने 16 दवाएं सुझाई थीं, जिनमें से ट्रॉयल के लिए उमीफेनोविर (आर्बिडोल) का चयन किया गया। निदेशक प्रो. कुंडू ने बताया कि उमीफेनोविर टैबलेट के रूप में है। इसे सिरप और इनहेलर के रूप में भी विकसित करने पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि परीक्षण में ऐसे मरीज भी शामिल थे, जिनमें वायरस का डेल्टा वेरियंट मिला था। ऐसे में माना जा रहा है कि यह डेल्टा वेरिएंट पर भी कारगर हो सकती है। उन्होंने बताया कि 132 मरीजों पर क्लिनिकल परीक्षण किया गया।
निदेशक ने बताया कि उमीफेनोविर सार्स कोविड-19 के सेल कल्चर को बेहद प्रभावी तरीके से नष्ट करता है। यह मानव कोशिकाओं में इस वायरस के प्रवेश को रोकता है। इसकी पांच दिन की दवा का खर्च करीब 600 रुपये तक आता है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने क्लीनिकल परीक्षण रिपोर्ट का मूल्यांकन किया है और आपातकालीन स्वीकृति देने के लिए और अधिक संख्या में हल्के लक्षण वाले रोगियों पर अध्ययन जारी रखने के लिए कहा है।