ग़ाज़ीपुर- मंगई नदी का जलस्तर बढने से करइल क्षेत्र की हजारो एकड़ भूमि जलमग्न

– धान व सब्जी समेत पशुओं का चारा बरबाद

प्रखर ब्यूरो गाजीपुर। मंगई नदी का जलस्तर बढ़ने से क्षेत्र की हजारों एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है। इससे जहां किसानों की दिक्कतें बढ़ गईं हैं, वहीं अब पानी बस्ती में पहुंचने लगा है। लौवाडीह गांव के दलित बस्ती, यादव बस्ती के घरों में पानी पहुंचने से उनकी दुश्वारियां बढ़ गई हैं। वहीं उत्तर तरफ गांव के मुख्य खड़ंजे के ऊपर से पानी बह रहा है जिससे आवागमन एकदम ठप हो गया है। अभी तक कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिल पाई है। चारों तरफ पानी से गंदगी है और स्वास्थ्य विभाग के किसी भी कर्मचारी का पता नहीं है। मंगई नदी के उफान से लौवाडीह, रघुवरगंज, परसा, राजापुर, खेमपुर, सिलाइच, सियाड़ी, जोगामुसाहिब, पारो, रेड़मार, करीमुद्दीनपुर, लट्ठुडीह, देवरिया, सरदरपुर, महेन्द, सोनवानी समेत कई गांव की हजारों एकड़ धान की फसल जलमग्न होकर बर्बाद हो गई। मंगई नदी करइल के लिए बिल्कुल अभिशाप हो गई है। यह दूसरा मौका है जब मंगई नदी ने तबाही मचायी है। अगस्त माह में नदी के उफान ने धान की खेती को बर्बाद किया, वही दूसरी बार दोगुने उफान ने धान की तैयार फसल को नष्ट कर दिया। अब किसानों के सामने भुखमरी के हालात हैं। अब न तो धान की फसल बच पाई और न ही रबी की बोआई हो पाएगी। मंगई नदी के आस पास लगभग दस हजार बीघे की खेती होती है। यह करइल का सबसे उपजाऊ इलाका है। मसूर, मटर और चने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, लेकिन चार वर्षों से खेती प्रभावित हो रही है। रबी को बोआई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू हो जाती है ऐसे में अभी तो ये खेत तालाब बने हुए हैं, जिसके सूखने में लगभग तीन से चार महीने लग जाएंगे। यानी अब कतई बोआई नही हो पाएगी। वहीं कृषि विभाग राजस्व विभाग की लापरवाही है कि मंगई नदी के बाढ़ से नष्ट फसल का सर्वे नहीं करता जिससे किसानों का काफी नुकसान हो जाता है। लाखों रुपये का किसानों का फसल बीमा कटता है, लेकिन बीमा कंपनियों और कृषि विभाग के लापरवाही से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।