एफसीआई अनंत एफसीआई की कथा अनंता, गरीबो के राशन पर अधिकारियों का डाका

गरीबों का हजारों बोरी राशन गायब अधिकारियों ने साधी चुप्पी

– निरीक्षण करने वालों वाले अधिकारियों को क्यों नहीं मिलती है खामियां

प्रखर पूर्वांचल एक्सक्लूसिव। वाराणसी । सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कितनी खामियां हैं अगर उनका एक-एक कर जिक्र किया जाए तो एक-एक विभाग में भ्रष्टाचार की कहानी हरि अनंत हरि कथा अनंता जितनी अनवरत चलने वाली है। मामला भदोही जनपद के पीजी हरियाव गोदाम से करीब 9300 बोरी गरीबों का राशन गायब होने का है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब इतने बड़े पैमाने पर गरीबों के राशन को भ्रष्टाचारियों ने निगल लिया हो।
बड़ा सवाल यह है कि विभाग के तमाम अधिकारियों को सिर्फ इसलिए नियुक्त किया जाता है ताकि सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनाज गरीबों तक पहुंच सके और उन्हें 2 जून की रोटी नसीब हो जाए । लेकिन अधिकारी अपने वेतन को लेकर मस्त रहते हैं और तमाम ठेकेदार, मिल मालिक, गोदाम संचालक के साथ मिल कर इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देते हैं और इस व्यवस्था का लाभ उठाकर करोड़ों का हेरफेर करते हैं। इस गोदाम से 1 दिन में 9300 बोरी अनाज का कालाबाजारी नहीं किया गया होगा ? यह महीनों से लगातार किया जाता रहा होग? बड़ा सवाल यह है कि जिन अधिकारियों को गोदाम के निरीक्षण की जिम्मेदारी थी क्या उन अधिकारियों ने इस गोदाम का निरीक्षण किया था? इस सवाल पर राज्य सरकार के अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। तो वहीं दूसरी तरफ एफसीआई के अधिकारी इस पूरे मामले में लीपापोती करने में जुटे हुए हैं। एफसीआई ने गुण नियत्रण करने के लिए सहायक महाप्रबंधक गुण नियंत्रक के अधीन तमाम गुण नियंत्रक अधिकारियों की नियुक्ति कर रखा है। जिनके जिम्मे गरीबों को बांटा जाने वाला अनाज को व्यवस्थित रूप से उन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है लेकिन अपने कार्यकाल के कुछ वर्षों में ही करोड़ों के फ्लैट और लाखों की गाड़ियों से चलने वाले यह अधिकारी पूरी तरह से इस भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा बने हुए हैं । गरीबों का राशन डकारने वाले सभी जिम्मेदार लोगों और अधिकारियों के इस पूरे सिस्टम पर प्रखर पूर्वांचल की पड़ताल जारी रहेगी। बता दें कि प्रखर पूर्वांचल के संवाददाता ने भदोही के पीजी हरियाव गोदाम में हुए इस फर्जीवाड़े पर अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए तमाम जिम्मेदार अधिकारियों से टेलीफोन पर वार्ता करनी चाही। लेकिन सभी अधिकारियों ने एक-एक कर अपना पल्ला झाड़ना ही बेहतर समझा। बता दें कि इस पूरे सिस्टम को सारे देश में बाहुबलियों ने अपने अपने स्तर पर कब्जा कर रखा है। ऐसे में इस मामले में अधिकारी कुछ नहीं बोलना ही बेहतर समझते हैं।