देव दीपावली पर देवलोक बनी काशी

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दर्जनों हस्तियों ने किया दीदार

प्रखर वाराणसी। गंगा घाटों की सीढ़ियों और नाव के साथ ही रंग बिरंगे गुब्बारों से इस बार देव दीपावली देखने का लोगों ने आनंद उठाया। गंगा उस पार डोमरी से उड़ाए गए बैलून से घाटों की अद्भुत छठा दिखाई दी। अपनी आंखों से अनूठे उत्सव का नाजारा लेने के लिए लाखों लोग गंगा घाटों पर पहुंचे। घाट की ओर जाने वाली हर गली लोगों से ठसाठस भरी दिखाई दी। बार-बार गंगा में बढ़ाव ने हालांकि इस बार लोगों को थोड़ा परेशान किया। कुछ घाटों पर सिल्ट की सफाई पूरी नहीं होने से दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। वाराणसी में ऐसे मनाया गया देव दीपावली का त्योहार, यहां देखें जगमगाते घाट की तस्वीरें
सूर्य अस्‍त होते ही माटी के दीपों में तेल की धार बह चली और रुई की बाती तर होते ही प्रकाशित होने को आतुर नजर आई। गोधूलि बेला के साथ ही एक-एक कर दीपों की अनगिन श्रृंखला पूर्णिमा के चांद की चांदनी को चुनौती देने के लिए बेकरार हो चली। दीपों की अनगिन कतारों से घाटों की अर्धचंद्राकार श्रृंखला दिन ढलते ही नहा उठी और मुख्‍य घाट पर आयोजन में शामिल उजाला मानो चंद्रहार में लॉकेट की भांति नदी के दूसरे छोर से प्रकाशित नजर आने लगा। पचगंगा घाट पर हजारा (हजार दीपों) और शिवाला घाट पर लेजर शो के आयोजन ने देव दीपावली पर अलग ही शमां बांध दी। अस्सी के सामने इलेक्ट्रानिक आतिशाबाजी का भी इस बार लोगों को नजारा देखने को मिला। इस दौरान दर्जनों घाटों पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी लोगों का मन मोहा। शहर के विभिन्न सरकारी संस्थानों, भावनों व बिजली पोल को भी इस दौरान तिरंगे रंग के झालरों से सजाया गया है। गंगा तट पर अलौकिक छटा देखने के लिए देश के तमाम हिस्सों के हजारों लोग शहर में दो दिन पहले से ही डेरा डाल चुके थे। केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राजघाट पर देव दीपावली महोत्सव का शुभारंभ किया। इस दौरान राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, उमा भारती सहित कई बड़ी हस्तियां साक्षी बनीं। दक्षिण भारत से आए भक्तों ने तामिलनाडु के ओंकार आश्रम के महाधिपति स्वामी ओंकारानंद के सानिध्य में शिवाला घाट पर गंगा पूजन के साथ पूर्णिमा अनुष्ठान का श्रीगणेश किया। भक्तों ने दक्षिण भारतीय पद्धति से गंगा पूजन किया। स्वामी ओंकारानंद ने बताया कि काशी में 20वां आयोजन संन्यासिनी प्रवणकुमारी (लक्ष्मी बाई) की पुण्य स्मृति को समर्पित है। प्रखर साधिका लक्ष्मी बाई गुप्त रूप से मानस सेवा करती रही हैं।