मायावती के बेहद करीबी विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने छोड़ी पार्टी

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मंगलवार को ही जारी एडीआर रिपोर्ट में समूचे प्रदेश में सबसे अधिक संपत्ति वाले विधायक का तमगा हासिल कर सुर्खियां बटोरने वाले शाह आलम एक बार फिर से चर्चा में

प्रखर डेस्क। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बसपा को एक बार फिर एक बड़ा झटका लगा है. बीते दिनों एक के बाद एक तमाम कद्दावर नेताओं के बाद बसपा के विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने भी बसपा से इस्तीफा दे दिया है. यूपी में सभी पार्टियों के पास कुछ ऐसी सीटें हैं जिन्हें उनका मजबूत किला माना जाता रहा है. आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट ऐसी ही है जिले बसपा के अभेद्य किले की तरह जाना जाता है. 1996 से लेकर अभी तक प्रदेश में चाहे जिसकी भी सरकार रही हो लेकिन, मुबारकपुर सीट हमेशा बहुजन समाज पार्टी की झोली में ही जाती रही है. अब इसमें गहरी दरार पड़ गयी है. बसपा से लगातार दूसरी बार विधायक रहे शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने पार्टी छोड़ दी है. ऐसे में बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि क्या बसपा इस सीट पर कब्जा 2022 के चुनाव में भी बरकरार रख पाएगी। पिछले 25 सालों से प्रदेश में चाहे जिस भी पार्टी की सरकार रही हो। लेकिन मुबारकपुर सीट के लोगों ने बसपा पर ही भरोसा जताया. 1996 से लेकर अभी तक बसपा के इस मजबूत किले को किसी भी पार्टी की लहर से कोई फर्क नहीं पड़ा. कैंडिडेट भले ही बदलते रहे लेकिन, सीट हमेशा बसपा के खाते में जाती रही. पहली बार इस सीट पर बसपा के यशवंत सिंह ने 1996 में जीत दर्ज की थी. 2002 के चुनाव में यशवंत सिंह ने पार्टी छोड़ दी. वे हार गये. विधायकी बसपा के पास रही और जीते चन्द्रदेव राम यादव. 2007 में चन्द्रदेव फिर से बसपा से ही विधायक बने। 2012 में सपा की लहर में भी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने यहां से बसपा से जीत दर्ज की. इसके बाद 2017 की भाजपा लहर में भी वे जीते. अब उन्होंने पार्टी छोड़ दी है. गुड्डू जमाली पर कुछ ही दिन पहले मायावती ने भरोसा जताते हुए उन्हें विधानमण्डल दल का नेता बनाया था. लालजी वर्मा के पार्टी से निकालने के बाद उन्हें ये कुर्सी दी गयी थी. अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या गुड्डू जमाली के पार्टी छोड़ने से बसपा के हाथ से ये सीट फिसल तो नहीं जायेगी. बता दें कि बसपा का भले ही इस सीट पर पिछले 25 सालों से कब्जा रहा है लेकिन, उसकी स्थिति बहुत मजबूत नहीं दिखी है. यानी पार्टी की जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं रहा है. 1996 में पार्टी ने महज 6622 वोटों से ये सीट जीती. 2002 में 9276 वोटों की मार्जिन रही। 2007 में जीत का अंतर घटकर महज 2476 रह गया. 2012 में 8587 वोटों से गुड्डू जमाली जीते लेकिन, 2017 में हालत और पतली हो गयी. वे महज 688 वोटों से ही जीत सके. जब से इस सीट पर बसपा जीतती रही है तब से लेकर सिर्फ एक बार छोड़कर हर बार दूसरे नंबर पर सपा ही रही है. यानी थोड़े से वोटों का झुकाव सपा की ओर बढ़ा तो सीट बसपा के हाथ से निकल जायेगी. वहीं न्यूज18 से बातचीत में भले ही अभी गुड्डू जमाली ने किसी और पार्टी को ज्वाइन करने से इनकार किया है लेकिन कयास यही लगाये जा रहे हैं कि गुड्डू जमाली जल्द ही सपा ज्वाइन करेंगे. यदि वे सपा से मुबारकपुर से उतरते हैं तो सीट के बसपा के हाथ से फिसल जाने की आशंका बढ़ जायेगी।