ग़ाज़ीपुर- फाइलेरिया के नाइट ब्लड सर्वे के तहत 508 लोगों के ब्लड का भेजा गया सैंपल

प्रखर ब्यूरो ग़ाज़ीपुर। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को फाइलेरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नाइट ब्लड सैंपल सर्वे किया जा रहा है। इस रोग से ग्रषित मरीजों की खोज के लिये रात्रि के समय व्यक्ति के खून के नमूने एकत्रित किए जा रहे हैं। खून जांच में फाइलेरिया पॉजिटिव पाए जाने पर स्वास्थ्य विभाग उन्हें नि:शुल्क दवा और इलाज करायेगा। इसी के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहमदाबाद में करीब 508 व्यक्तियों का फाइलेरिया ब्लड लिया गया जिसे उच्च जांच के लिए भेजा गया है।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशीष राय ने बताया कि फाईलेरिया नाईट सर्वे हेतु राज्य स्तर से चयनित ग्राम तिवारीपुर मे कुल 500 लोगो का फाईलेरिया ब्लड सैम्पल हेतु लक्ष्य दिया गया था। जिसके सापेक्ष मुहम्मदाबाद में 3 दिनों में रात्रि काल मे कुल 508 लोगो का ब्लड सैम्पलिंग कर उच्च लैब जाँच हेतु भेजा गया। इस कार्य के लिए स्थानीय ग्राम प्रधान, क्षेत्रीय आशा के सहयोग से लिया गया। जाँच शुरू करने से पहले क्षेत्रिय लोगो के साथ बैठक कर उन्हें इस जाँच प्रक्रिया के बारे मे पूर्णतः समझाया एवं बताया गया। जिससे रात्रि सैमपलिग मे क्षेत्रीय लोगो का आपेक्षित सहयोग प्राप्त हो। इस दौरान बैठक कर यह भी बताया गया कि नाइट ब्लड सर्वे क्यों जरूरी है तथा यह किस लिए होता है। बताया गया की नाइट ब्लड का सर्वे फाइलेरिया की जांच के लिए किया जाता है। क्योंकि फाइलेरिया का परजीवी मानव शरीर की रक्त में उपस्थित होकर पलता व बढ़ता है। यह मच्छरों के द्वारा काटे जाने पर उत्पन्न होने वाला रोग है। रात्रि में इसकी जांच का कारण यह है कि दिन के समय में यह लिंक में रहता है एवं रात्रि के मध्य यह रक्त वाहिकाओं में आता है। इसलिए जांच रात में ही संभव है। इस रोग के लक्षण के बारे में बताया गया कि फाइलेरिया लाइलाज है। यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर उपचार शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएं। फाइलेरिया से संक्रमित हो जाने पर लंबे समय तक इलाज चलने और दवा की खुराक पूरी करने पर रोगी सामान्य जीवन जी सकता है। दवाई की खुराक पूरी नहीं करने पर यह रोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है। इसलिए सभी सरकारी चिकित्सा केन्द्रों पर डीईसी दवा निशुल्क उपलब्ध है जिसे 5 सालों तक साल में एक बार लेना आवश्यक है।
इस जांच टीम में चंदन राम एल टी, हेमवंता पाडेय एएनएम, आदर्श कुमार बीएचडब्ल्यू, बबलू यादव वार्ड बॉय बीपीएम संजीव कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।