ग़ाज़ीपुर- जनपद को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए 36 लाख लोगों को खिलायी जायेगी दवा

-12 मई से 27 मई तक चलेगा एमडीए राउंड, सभी लोग अवश्य खायें दवा- डीएमओ

प्रखर ब्यूरो गाजीपुर। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 12 से 27 मई तक ‘मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन’ (एमडीए) अभियान चलेगा, जिसमें जिले के 36 लाख लोगों को दवा खिलाई जायेगी और जनपद को फाइलेरिया मुक्त बनाया जायेगा। मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में आयोजित ‘स्वास्थ्य संचार सुदृढीकरण मीडिया कार्यशाला’ में बतौर मुख्य अतिथि जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार ने यह जानकारी मीडिया कर्मियों को दी।
सेंटर फार एडवोकेसी एण्ड रिसर्च के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में डीएमओ ने कहा कि ‘नाइट ब्लड’ सर्वे में फाइलेरिया स्वस्थ लोगों में भी पाया गया है। इसलिये हर व्यक्ति को फाइलेरिया रोधी दवा खानी चाहिये और अपने परिवार को भी खिलाना चाहिये। सिर्फ दो वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को यह दवा नहीं खिलानी है। उन्होंने बताया कि एमडीए राउंड में अल्बेंडाजोल और डीईसी दवा लोगों को स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने समक्ष खिलायेंगे। फाइलेरिया की दवा साल में एक बार पांच साल तक दी जाती है। इसके बाद दवा सेवन करने वाले व्यक्ति को फाइलेरिया होने की आशंका बिल्कुल नहीं होती है। उन्होंने बताया कि जनपद की जनसंख्या लगभग 42.30 लाख है, जिसमें 35.96 लाख लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलायी जाएगी। इसके लिए कुल 3534 टीमों का गठन किया गया है, जिसमें 7068 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर दवा खिलाने में लगाये गये है। डीएमओ ने बताया कि जिले में 650 हाथीपांव व 450 हाइड्रोसील के केस हैं। कोविड संक्रमण के दौरान हाइड्रोसील के आपरेशन कम हो सके थे, इस साल अधिक संख्या में इससे सम्बन्धित आपरेशन किये जायेंगे। आज की इस कार्यशाला में पॉथ की डा. सुचिता शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया बीमारी लाइलाज है, इसलिये इससे बचना है तो वर्ष में एक बार दवा जरूर खाना चाहिये। उन्होंने कहा कि यह बीमारी प्रायः बचपन से ही प्रारंभ हो जाती है। इसके दुष्परिणाम कई वर्षों बाद देखने को मिलते है। उन्होंने बताया कि हाईड्रोसील का इलाज संभव है। इसके मुफ्त आपरेशन की सुविधा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी कीटाणु के माध्यम से एक मरीज से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचती है। यह दवा प्रत्येक वर्ष एमडीए कार्यक्रम के माध्यम से घर-घर जाकर खिलाई जाती है। वर्ष में एक बार दवा खाने से फाइलेरिया की मुक्ति के साथ खून की कमी, स्नोफीलिया से बचाव होता है। इसलिये दवा जरूर खानी चाहिये। पीसीआई के जिला समन्वयक विनीत सिंह ने कहा कि फाइलेरिया की दवा खाने के लिए उनकी टीम लगातार जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। इसके लिए वह ग्राम प्रधानों और शिक्षण संस्थाओं से भी सम्पर्क कर इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। सीफार के जिला समन्वयक (फाइलेरिया) मृत्युंजय राय ने बताया कि पेशेंट सपोर्ट ग्रुप (पीएसजी) के माध्यम से फाइलेरिया मरीजों का समूह बनाकर समुदाय को जागरुक किया जा रहा है। कार्यशाला के प्रारम्भ में सीफार के राज्य प्रतिनिधि फिरोज हैदर ने कार्यशाला के उददेश्य और संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस मौके पर सीफार से मनोज श्रीवास्तव, मलेरिया विभाग से सुनील मौर्य, अनुराग भाष्कर समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन सीफार के वाराणसी मंडल समन्वयक शुभम गुप्ता ने और धन्यवाद ज्ञापन मलेरिया विभाग की अंकिता त्रिपाठी ने किया।