ग़ाज़ीपुर- बच्चों और गर्भवती महिलाओं के नियमित टीकाकरण को लेकर हुआ वर्कशॉप

प्रखर ब्यूरो ग़ाज़ीपुर। नियमित टीकाकरण जो प्रत्येक बुधवार और शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गर्भवती और छोटे बच्चे को निशुल्क लगाया जाता है। जो उन्हें कई तरह के बीमारियों से भी बचाता है। इसी को लेकर सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में नियमित टीकाकरण रिव्यू मीटिंग व कार्यशाला का आयोजन एसीएमओ डॉक्टर के.के. वर्मा की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 2022-23 की कार्य योजना की तैयारी एवं अधुनान्तिकरन पर चर्चा किया गया। इस दौरान एचएमआईएस डाटा पर भी ब्रीफिंग किया गया।
एसीएमओ डॉ. के.के. वर्मा ने बताया कि ब्लॉक स्तर पर आशा कार्यकर्ता के माध्यम से उनके क्षेत्र में कितने गर्भवती और छोटे बच्चे हैं, जिनका नियमित टीकाकरण किया जाना है, उसका आशा कार्यकर्ता के द्वारा 1 सप्ताह में 250 परिवारों का सर्वे करना है। इसी को लेकर इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। वही आज के इस कार्यशाला के बाद समस्त ब्लॉकों पर कार्य योजना के अनुसार 24 से 27 मई तक एएनएम, आशा के साथ बैठक करना है। जिसके बाद 28 मई से 3 जून तक आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा सर्वे करना, 4 से 5 जून तक माइक्रोप्लान को अपडेट करना और 6 जून को माइक्रो प्लान को सबमिट कर जिला मुख्यालय को प्रेषित करना है। इस दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. उमेश कुमार ने बताया कि टीकाकरण विभिन्‍न गंभीर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। जिस बच्‍चे का टीकाकरण न हुआ हो वह अत्‍यधिक बीमार हो सकता है, स्‍थायी रूप से अक्षम या कुपोषित भी हो सकता है। टीकाकरण बचपन की सबसे अधिक गंभीर बीमारियों से बच्‍चों को सुरक्षा प्रदान करता है। अक्षम बच्‍चों समेत सभी बच्‍चों को टीकाकृत करवाने की जरूरत होती है। एक बच्‍चा जिसे इंजेक्‍शन या दवा पिलाई गई हो, टीकाकृत माना जाता है। टीके बीमारियों के खिलाफ बच्‍चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। टीकाकरण केवल तभी काम करता है जब वह बीमारी के होने से पहले दिया गया हो। जो बच्‍चा टीकाकृत न हो, वह खसरे, कुकर खांसी और अन्‍य बीमारियों से ग्रसित हो सकता है, जिससे उसकी मृत्‍यु भी हो सकती है। जो बच्‍चे इन बीमारियों से ग्रस्‍त होते हैं वे कमजोर हो जाते हैं। वही गर्भवती को गर्भावस्‍था से पहले या उसके दौरान टिटनेस टॉक्सिड की कम से कम दो खुराक न केवल महिला, बल्कि उसके नवजात शिशु को उसके शुरुआती हफ्ते में टिटनेस से सुरक्षा प्रदान करता है।
आज के इस कार्यशाला में सभी ब्लॉकों के चिकित्सा अधीक्षक, बीपीएम, बीसीपीएम, एआरओ, कोल्ड चेन हैंडलर मौजूद रहे। वही इस वर्कशॉप को यूनिसेफ से अजय उपाध्याय, डब्ल्यूएचओ से विनय दुबे, यूएनडीपी, चाई के मणिशंकर और यूपीटीएसयू के तबरेज के द्वारा टेक्निकल सहयोग प्रदान किया गया।