ज्ञानवापी प्रकरण! काशी करवट के महंत ने अपना पद छोड़ा, बोले मेरे बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया


प्रखर वाराणसी। काशी करवट मंदिर के महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने रविवार को महंत पद त्याग दिया। ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग को फव्वारा बताने के बयान पर राजनीति होने से आहत महंत ने यह निर्णय लिया। रविवार को मंदिर परिसर में प्रेसवार्ता के दौरान महंत ने पद छोड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। मुझे राजनीति की समझ नहीं और मुझे राजनीति का शिकार बना दिया गया। महादेव सभी का न्याय करेंगे। महंत ने कहा कि मैं गणेश शंकर उपाध्याय काशी में भोग और मोक्ष देने वाले भगवान श्री भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग महाप्रभु का किंकर सेवक, काशी के मोक्ष स्थल काशी करवत मंदिर का महंत अपने पद से इस्तीफा देता हूं। आज अभी इसी सभा से मैं महंत पद को उसकी गरिमा, मर्यादा और निर्बाध परंपरा की रक्षा के लिए त्याग कर रहा हूं, ताकि पश्चाताप के प्रायश्चित के लिए आजाद हो सकूं। वर्तमान की घटना से मैं आहत हूं।’ मेरी जगह अब मेरे छोटे भाई डॉ. दिनेश अंबाशंकर उपाध्याय काशी करवत के महंत होंगे। इस घटनाक्रम में मैं निजी तौर पर किसी को भी दोषी नहीं मानता। यह सब दैवीय विधान मानकर भीमेश्वर प्रभु के ऊपर छोड़ दिया है। गणेश शंकर उपाध्याय ने कहा कि मेरे पिता महंत पं. अंबाशंकर उपाध्याय ने अपना पूरा जीवन एक धर्म योद्धा की तरह बिताया। उन्होंने कहा कि नौ साल के कार्यकाल में कई समस्याएं और अस्तित्व का संकट आया। जिन्हें मैंने अपने धर्म के रास्ते पर चलते हुए स्वीकार किया और भगवान भीमेश्वर प्रभु की कृपा से कभी विचलित नहीं हुआ।