ग़ाज़ीपुर- विद्युत मजदूर पंचायत ने विद्युत मेंटेनेंस का कार्य देख रहे भारत इंटर प्राइजेज के सुपरवाइजर पर लगाया गम्भीर आरोप

प्रखर ब्यूरो गाजीपुर। विद्युत मजदूर पंचायत की एक आवश्यक बैठक आज दिन मंगलवार को लालदरवाजा स्थित पावर हाउस में आयोजित की गई। आज के इस बैठक मे जिलाध्यक्ष अरविंद कुशवाहा ने आरोप लगाते हुए कहा कि जनपद में विद्युत मेंटेनेंस का कार्य देख रहे भारत इंटर प्राइजेज जो बराबर अपने कमियों को लेकर सुर्खियों में रहता है और इस फर्म का जनपद सुपरवाइजर राहुल सिंह जो बहुत ही रसूख किस्म का होते हुये कंपनी का दलाल है। आगे उन्होंने कहा कि आये दिन बिना विभागीय उच्चाधिकारियों के आदेश के किसी भी संविदा कर्मियों को बिना नोटिस दिए गरीब मजदूरों को हटाता रहता है एवं तीस हजार से सत्तर हज़ार रुपया नए लड़को से लेकर मनमाने तरीके से संविदा कार्मिक पद पर रखता है। जिलाध्यक्ष अरविंद ने अधिकारियों से मांग किया है कि भारत इंटर प्राइजेज के खिलाफ एवं सुपरवाइजर राहुल सिंह के खिलाफ कठोर से कठोर उचित कार्यवाही करते हुये इसको ब्लैक लिस्टेड करें। उन्होने कंपनी को चेतावनी देते हुये कहा कि पिछले दिनों मरदह उपकेंद्र पर तैनात संविदा कर्मी विवेक राजभर जो पिछले दस वर्ष से संविदा कर्मी है, जिसके द्वारा कंपनी के सुपरवाइजर राहुल सिंह से सुरक्षा उपकरण मांगने पर आग बबूला हो गया और उसे धमकी तक दे डाला कि कार्य करना है तो करो नहीं तो कार्य छोड़कर घर चले जाओ। आगे श्री कुशवाहा ने कहा कि कोई भी हमारे संविदा कर्मियों को छूकर कर देख ले पता चल जाएगा किसमें कितना दम है। उन्होंने कहा कि जल्द ही संगठन जिलाधिकारी से मिलकर भारत इंटर प्राइजेज में फर्जी तरीके से मोटा रकम लेकर सुपरवाइजर राहुल सिंह द्वारा हमारे पुराने संविदा कर्मियों को हटाकर नए बिना कुशल बाहरी व्यक्तियों को रखा जा रहा है एवं उपकरणों की भी जांच कराई जाएगी। जिलामंत्री विजयशंकर राय ने कहा कि तीन माह का संविदा कर्मियों का वेतन नही दिया है। पिछले चार माह से इन गरीब मजदूरों का ईपीएफ अभी तक कटा है जो कहि ना कहि भ्रष्टाचार को कंपनी द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा। अगर सुरक्षा उपकरण की बात की जाय तो अभी तक किसी भी सब स्टेशन पर कोई भी संविदा कर्मियों को कंपनी द्वारा सुरक्षा उपकरण मुहैया नही हुआ है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो संगठन 8 जून 2022 से जिले के समस्त सब स्टेशन बंद कर विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा। जब तक कंपनी के उच्च प्रबंधन आकर संगठन के सामने पूरी मांगे न मान ले।