पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का हो गया बंटाधार, अब नहीं होगी मथुरा- वृंदावन व प्रयाग में गंगा घाटों की सफाई


कानपुर व बिठूर में 1 जून से ही बंद हो गया है गंगा को साफ करने का कार्य

पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना का बंटाधार लगा रहे उनके अधिकारी

गंगा दशहरे पर ही साफ सफाई का कार्य बंद, सरकार की लुटिया डूबाने पर लगे अधिकारी

प्रखर डेस्क। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था मैं आया नहीं मुझे मां गंगा ने बुलाया है और मैं मां गंगा के लिए बहुत कुछ करूंगा। लेकिन उनके इस कहेका उनके ही अधिकारी मान नहीं रख रहे।
बतादे कि प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना का बंटाधार उनके ही अधिकारी लगाते हुए दिख रहे हैं। पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे के तहत गंगा घाटों की साफ-सफाई का कार्य कराया जाता है। जिसके लिए सरकार बकायदा टेंडर निकालकर साफ सफाई करने के लिए करोड़ों रुपए का बजट देती है। लेकिन उनके अधिकारी अपनी मनमानी करते हुए जिस भी कंपनी को टेंडर मिलता है उसे आए दिन लगातार परेशान किया करते हैं। फर्म को परेशानी की बात चल ही रही थी कि इसी बीच मां गंगा को भी इन अधिकारियों ने नहीं छोड़ा और उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया, और साफ सफाई के लिए नया आदेश ही नहीं जारी किया। बता दें कि गंगा दशहरा पर साफ सफाई का बंद होना बड़े सवाल खड़े कर रहा है! प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर यह प्रश्नवाचक लगता हुआ दिख रहा है। हमारे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 1 जून 2022 को ही कानपुर तथा बिठूर में गंगा साफ सफाई का कार्य बंद हो चुका है। साथ ही मिली जानकारी के अनुसार 9 जून 2022 के बाद प्रयागराज मथुरा- वृंदावन में भी गंगा की साफ- सफाई का कार्य बंद कर दिया जाएगा। मामले के बाबत हमने नमामि गंगे परियोजना के तहत साफ सफाई करा रही फार्म से बात कि तो उन्होंने कहा कि हमने पहले ही शासन को पत्र से अवगत करा दिया है कि हमारा अनुबंध समाप्त हो रहा है, हमें आगे कंटिन्यू करने के लिए आदेश दिया जाए। लेकिन हमारे पत्र का जवाब नहीं दिया गया। इसके साथ ही फर्म ने बताया कि 9 जून 2022 के बाद प्रयागराज, मथुरा- वृंदावन में भी गंगा की साफ सफाई का कार्य बंद कर दिया जाएगा। क्योंकि इस बार भी हमारे पत्र का जवाब अभी तक अधिकारियों द्वारा नहीं दिया गया है। अब बड़ा सवाल यह है कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा की साफ-सफाई के लिए अधिकारी इस तरह का बर्ताव क्यों रहे हैं? यह जांच का विषय होगा। उक्त मामले पर जब परियोजना निदेशक राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश के कार्यालय लखनऊ में फोन लगाया गया, तो वहां पर एक महिला ने फोन उठाया और कहा कि अभी कार्यालय में कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है जो इस मामले पर आपको जानकारी दे सके। आप 2 घंटे बाद फोन करिएगा। पुनः 2 घंटे बाद फोन किया गया तो कई बार फोन की घंटी बजी लेकिन फोन नहीं उठा। अब बड़ा सवाल यह है कि जिस ड्रीम प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री अपनी निगरानी में रखते हैं, उसका यह हाल है तो बाकी परियोजनाओं का क्या हाल होता होगा?