ग़ाज़ीपुर- श्री कृष्ण के पटरानियों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रुक्मिणी का था

प्रखर ब्यूरो ग़ाज़ीपुर। भांवरकोल ब्लॉक मुख्यालय के समीप स्थित सरहमाडीह के किनवार कीर्ति स्तंभ पर चल रहा सात दिवसीय महामृत्युंजय महायज्ञ के छठवें दिन श्रीमद् भागवत कथा के सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित नागेंद्र भार्गव ने श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का प्रसंग सुनाया। साथ ही कलाकारों द्वारा उनकी सुंदर स्वरूप से भक्तो को प्रसंग का मंचन कर मन्त्रमुग्ध कर दिया। अपने प्रवचन में पंडित नरेंद्र भार्गव ने बताया कि श्री कृष्ण के पास जब रुक्मणी ने संदेश भेजा कि रुक्मणी के घरवाले इनका विवाह कहीं और करना चाहते हैं तब उन्होंने श्री कृष्ण से कहा कि वह श्री कृष्ण से ही विवाह करना चाहती हैं, क्योंकि विश्व में उनके जैसा अन्य कोई पुरुष नहीं है, भगवान श्री कृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रुक्मणी ने मन ही मन निश्चय किया कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी को भी पति के रूप में वरण नहीं करेंगी। उधर श्री कृष्ण भगवान को भी इस बात का पता लग चुका था कि रुक्मिणी परम रूपवती तो है ही इसके साथ साथ परम सुलक्षणा भी हैं। अपने वर्णन में उन्होंने बताया कि भीष्मक का बड़ा पुत्र रुकनी भगवान श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था। वह अपनी बहन रुक्मणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। जब रुक्मिणी ने गिरजा की पूजा करते हुए उनसे प्रार्थना की हे माँ तुम सारे जगत की मां हो इसलिए मेरी भी अभिलाषा पूर्ण करो मैं श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती रुक्मणी जब मंदिर से बाहर निकली तो उन्हें एक ब्राह्मण दिखाई दिया। उसे देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई। उन्हें यह समझने में बिल्कुल भी संशय नहीं रहा कि श्री कृष्ण भगवान ने ही उसके समर्पण को स्वीकार कर लिया है और श्री कृष्ण जी ने विद्युत तरंग की भांति पहुंचकर उनका हाथ थाम लिया और अपने रथ पर बिठाकर द्वारका की ओर चल पड़े। भगवान श्री कृष्ण रुक्मिणी को द्वारका ले जाकर उनके साथ विधिवत विवाह किया। उन्होंने बताया कि प्रद्युम्न उन्हीं के गर्भ से उत्पन्न हुए थे जो सृष्टि में कामदेव के अवतार थे। श्री कृष्ण की पटरानीयों में रुक्मणी का सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थान था। उनके प्रेम और उनकी भक्ति पर भगवान श्री कृष्ण मुग्ध थे। उनके प्रेम और उनकी कई कथाएं और भी बहुत प्रेरक हैं। इस दौरान कथा में सम्मिलित लोगों ने भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी जी के विवाह में उपहार भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। भक्तजनों में मुख्य यजमान इंजीनियर अरविंद राय, संतोष राय, वीरेंद्र राय, मुक्तिनाथ राय, नागा दुबे, संजय पांडेय आदि तमाम लोग उपस्थित रहे। वही श्रीमद् भागवत कथा का समापन शुक्रवार को होगा, जिसके उपरांत शुक्रवार को सुबह 11:00 बजे से प्रभु इच्छा तक भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा।