बड़ा घोटाला! राशन डीलर के यहां लगी ई-पॉस मशीन की कीमत 20 हजार और रखरखाव में खर्च हो गए 15 लाख


प्रदेश में कुल 80000 राशन डीलर हैं इस हिसाब से बीते 5 वर्षों में 80000 मशीनों के रखरखाव व मेंटेनेंस में 12 सौ करोड़ रुपए खर्च किया गया

ई – पास मशीन की खुले बाजार में 20000 कीमत

एक मशीन के रखरखाव व मेंटेनेंस के लिए ₹17 प्रति कुंटल देती है सरकार, जिसे बढ़ाकर अब ₹21 कर दिया गया

प्रखर डेस्क/एजेंसी। प्रदेश में राशन की दुकानों पर उपयोग की जा रही ई-पॉस मशीनों के किराए व मेंटीनेंस के खर्च में बड़ा खेल सामने आया है। इन मशीनों के किराए व मेंटेनेंस के नाम पर प्रति वर्ष कंपनियों को 240 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है। बतादे कि ये मशीनें 2016 यानी पिछले पांच सालो से इस्तेमाल की जा रही हैं। जोड़े तो बीते पांच सालों में करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च किए गए है। वही अगर ये मशीनें सरकार स्वयं खरीदती तो कुल खर्च करीब 160 करोड़ रुपये ही आता। राशन डीलरों का तो कहना है कि अगर उन्हें भुगतान किया जाए तो यह मशीन वे खुद खरीद लेंगे। पूरे प्रदेश में राशन की 80 हजार से ज्यादा सरकारी दुकानें हैं। इनके जरिए हर माह 15 करोड़ से ज्यादा लोगों को निशुल्क राशन का वितरण किया जा रहा है। किसी भी तरह की धांधली रोकने के लिए इनका वितरण ई-पॉस मशीनों से होता है। सभी दुकानों पर एक-एक मशीन दी गई है। इसके लिए तीन कंपनियों को वर्ष 2016 में ठेका दिया गया था। किराया और रख-रखाव के बदले प्रति क्विंटल राशन वितरण पर हर मशीन पर 17 रुपये किराया दिया जाता है। जितनी बार राशन बंटेगा, उतनी बार इन कंपनियों को भुगतान होगा। प्रदेश सरकार लगभग आठ लाख मीट्रिक टन राशन का वितरण हर माह करती है। बीते ढाई साल से इतना ही राशन वितरण प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में भी निशुल्क हो रहा है। यानी, प्रदेश में इस समय प्रति माह 16 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा राशन का वितरण हो रहा है। इस हिसाब से देखें तो पांच साल में प्रदेश सरकार ई-पॉस के मेंटेनेंस पर 816 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। वहीं, केंद्र की योजना के तहत ढाई साल में 408 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। यानी किराया और मेंटेनेंस ही 1200 करोड़ से ज्यादा बन रहा है। राशन वितरकों के अनुसार यदि एक मशीन की कीमत अधिकतम 20 हजार रुपये भी लगाई जाए तो 160 करोड़ रुपये में सभी 80,000 दुकानों पर मशीनें लग जातीं। उनका मेंटेनेंस भी दुकानदार खुद कर लेते। ऐसे में इतना बड़ा भुगतान अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है। सरकार ने इस मद में अब प्रति क्विंटल चार रुपये और बढ़ा दिए हैं। अब राशन पर 21 रुपये प्रति क्विंटल भुगतान होगा। उप्र सस्ता गल्ला विक्रेता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अशोक मेहरोत्रा कहते हैं कि यह गड़बड़झाला है। यह लाभांश कोटेदारों का है, जिसे कंपनियों को दिया जा रहा है। हम खुद ही मशीन लगा लेंगे या कंप्यूटर से राशन वितरण कर लेंगे। उप्र उचित दर राशन विक्रेता परिषद के प्रदेश महामंत्री एसके गौतम कहते हैं कि इस पर प्रदेश सरकार को आदेश जारी कराना चाहिए। यह कमीशन कोटेदारों को देना चाहिए। मामले पर सतीश शर्मा, खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री का ने कहा कि अरे! ऐसा हो रहा है। यह तो गलत है। मैं पूरे मामले की जानकारी करवाता हूं। देखता हूं कि वास्तव में क्या स्थिति है। यह प्रकरण तो अहम है।