वाराणसी में गंगा मैया खतरे के निशान से चंद सेंटीमीटर दूर, तस्वीरों में देखें डूबे घाटों की स्थिति

प्रखर वाराणसी। बाबा भोले की नगरी में उफनाई गंगा लाल निशान के ओर चल पड़ी हैं। जलस्तर में बढ़ाव होता रहा तो जल्द ही खतरे का निशान लांघ जाएंगी। गुरुवार रात आठ बजे जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से महज 76 सेंटीमीटर नीचे था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडलायुक्त से बातकर ताजा स्थिति की जानकारी ली है। घाटों को पूरी तरह से डुबोने के बाद गंगा अब शहरी आबादी में घुसने के लिए बेचैन है। लगातार बढ़ रही गंगा के कारण वरुणा का पलट प्रवाह अब भयावह हो चला है। गंगा से सटे निचले इलाके व कॉलोनियां बाढ़ के पानी से जलमग्न हो चुकी हैं। गंगा के कारण वरुणा के पलट प्रवाह से लोगों में दहशत है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार रात आठ बजे गंगा का जलस्तर 70.50 मीटर दर्ज किया गया। गंगा घाट से सटी हुई सड़कों पर बाढ़ का असर दिखने लगा है। पानी सड़क और गलियों के रास्ते शहरी आबादी में घुसने लगा है। महीने भर से गंगा के जलस्तर में लगातार उतार-चढ़ाव बना हुआ है। शवों के अंतिम संस्कार कहीं गली में तो कहीं छत पर किए जा रहे हैं। गंगा में बाढ़ का असर तटवर्ती इलाकों के साथ ही आम लोगों की जिंदगी पर भी पड़ रहा है।गुरुवार शाम को गंगा का पानी दशाश्वमेध घाट पर सीढ़ियों को डुबोते हुए सड़क तक पहुंच गया। अस्सी घाट पर पानी पहले से ही सड़क पर जमा है। केंद्रीय जल आयोग के पूर्वानुमान के अनुसार जलस्तर में फिलहाल कमी नहीं होगी, क्योंकि ऊपर बांध और बैराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। आयोग की ओर से जलस्तर के शुक्रवार के पूर्वानुमान के अनुसार सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 71.20 मीटर पहुंचने की आशंका है। सामनेघाट से रमना तक का क्षेत्र बाढ़ के पानी में घिर गया है। सामनेघाट स्थित ज्ञान प्रवाह नाले से आगे बढ़ता हुआ पानी मारुति नगर, गायत्री नगर, काशीपुरम विस्तार में दर्जनों से अधिक मकानों को जलमग्न कर चुका है। कम ऊंचाई पर स्थित कुछ घरों में एक फीट तक पानी घुस गया है। पानी से घिरे परिवार तेजी से पलायन की तैयारी में जुटे रहे। सामनेघाट स्थित मृत्युंजय मंदिर की सीढ़ियों पर पानी चढ़ चुका था।नगवां नाला से पानी घुसने पर रामेश्वर मठ के पास से नाले के किनारे से अस्सी जाने वाले रास्ते पर तीन फीट के करीब पानी लग चुका था। पानी की रफ्तार यही रही तो घसियारी टोला, डुमरावबाग से आगे साकेत नगर, रोहित नगर नाले के किनारे की आबादी भी बाढ़ से घिर जाएगी। गंगा का जलस्तर बढ़ने से रमना में गंगा किनारे करीब 40 बीघा से अधिक फसल जलमग्न हो गई हैं। गंगा में बढ़ाव की रफ्तार तेज होने से जहां घाट किनारे रहने वालों की धुकधुकी बढ़ गई है वहीं वरुणा का रुख गुरुवार से घनी आबादियों की ओर बढ़ चला है। वरुणा का बढ़ा हुआ जलस्तर कैंटोमेंट से लगायत कोनिया तक पहुंच चुका है। नक्खीघाट, पुलकोहना, तिनपुलिया, सक्कर तालाब, पुरानापुर, दीनदयालपुर, हुकुलगंज, बघवानाला, शैलपुत्री, अमरपुर मढ़िया और सरैया क्षेत्र सर्वाधिक बाढ़ ग्रस्त है। बाढ़ का पानी अचानक बढ़ने के कारण वरुणा पार क्षेत्रों में हजारों लोग फंसे हैं। कुछ लोग जैसे तैसे बाढ़ के पानी से निकल कर सुरक्षित स्थान पर चले गए। नक्खीघाट नई बस्ती में रहने वाले लोगों ने बताया कि इससे पहले बाढ़ आने पर जिला प्रशासन की ओर से लोगों को बाहर निकालने के लिए नाव और मोटर बोर्ड की व्यवस्था की जाती थी। इस बार अबतक नाव की व्यवस्था नहीं की गई है। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल और जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने गुरुावर को सरैया तथा ढेलवरिया क्षेत्र में बाढ़ चौकियों का निरीक्षण किया। मंडलायुक्त ने शरणार्थियों से उनका हालचाल लिया। परिवार के सदस्यों की जानकारी ली और भोजन मिलने की जानकारी भी ली साथ ही अपने सामने भोजन वितरित कराया। जिलाधिकारी ने कमरों में दरी बिछाने और सफाई कर्मचारी द्वारा नियमित सफाई कराने के निर्देश दिए गए। राहत शिविरों पर बैनर लगाने के लिए कहा गया।