दुनिया के इकलौते शाकाहारी मगरमच्छ की कहानी, अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब फूट-फूट कर रोए लोग!

75 वर्षों से मंदिर परिसर में स्थित तालाब में रहता था मगरमच्छ खाता था मंदिर का प्रसाद

प्रखर डेस्क/एजेंसी। शाकाहारी मगरमच्छ बबिया अब नहीं रहा। 75 साल के मगरमच्छ की 9 अक्टूबर को मौत हो गई। वह मंदिर की झील में मृत पाया गया। बबिया के लिए कहा जाता है कि उसने किसी जीव या इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया। दुनिया के इकलौते शाकाहारी मगरमच्छ की मौत हो गई। यह मगरमच्छ दक्षिण भारत के एक मंदिर में रहता था। इसका नाम बबिया था। 9 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई। यह मगरमच्छ मांस के बजाय मंदिर का प्रसाद खाता था।
उत्तरी केरल के कासरगोड जिले के अनंतपुरा मंदिर में बबिया मगरमच्छ रहता था। बबिया झील में करीब 75 साल तक रहा। मंदिर के पुजारी दिन में दो बार उसे खाना खिलाते थे। बबिया मंदिर का प्रसाद खाकर गुजारा करता था। मंदिर के कर्मचारियों का दावा है कि तालाब में काफी मछलियां थीं, लेकिन बबिया ने कभी मछली नहीं खाई। मंदिर के पुजारी दिन में दो बार बबिया को प्रसाद खिलाते थे। यहां तक कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भी चावल और गुड़ खिलाते थे। इतने सालों में उसने किसी भी भक्त पर हमला नहीं किया। भूख लगने पर बबिया झील से बाहर आ जाता था। वह मंदिर में पालतू जानवर की तरह घूमता था। उससे कोई डरता नहीं था। यदि कोई भक्त बबिया मगरमच्छ को देखता है, तो वह भाग्यशाली माना जाता है। पुजारियों के अनुसार इस झील में एक समय में एक ही मगरमच्छ रहता है। जब एक मगरमच्छ मर जाता है, तो दूसरा रहने आ जाता है। हालांकि मगरमच्छ कहां से आते है। इसका आज तक पता नहीं चल पाया है। बता दें कि मगरमच्छ की अंतिम यात्रा में भारी संख्या में लोग मौजूद रहे और मंदिर में नित्य पूजा पाठ करने वाले लोग मगरमच्छ की मौत पर फूट-फूटकर रोए।