क्या अटक जाएगा निकाय चुनाव, ओबीसी आरक्षण में खामियों को लेकर कोर्ट ने लगाई रोक?

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प्रखर डेस्क। उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव की तैयारियों में प्रदेश सरकार जोर-शोर से जुटी हुई थी। इसी बीच राज्य सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने तगड़ा झटका दे दिया। कोर्ट ने चुनाव की अधिसूचना मंगलवार तक जारी करने पर रोक लगा दी है। आज कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा बता दे कि जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ में वैभव पांडे की याचिका पर यह निर्देश दिया है कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का अनुपालन नहीं किया है। पांडे सहित याचियों ने सरकार पर नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा कोर्ट का कहना है कि प्रथम दृष्टया हमें लगता है कि यदि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से तय प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता। बता दें कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फार्मूले का अनुपालन नहीं किया है यह कोर्ट में आरोप लगाया है।
दलील दी गई है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष सुरेश महाजन के मामले में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण जारी करने से पहले ट्रिपल टेस्ट किया जाएगा। यदि ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता नहीं की जा सकती है तो एससी व एसटी सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार आरक्षण की अंतरिम अंतिम सूची जारी कर चुकी है। इसमें एक हफ्ते में आपत्तियां मांगी गई थी। अब देखना यह है कि हाई कोर्ट आज निकाय चुनाव के मामले में क्या सुनवाई करता है। बता दें कि प्रदेश में कुल 760 निकायों निकाय 17 नगर निगम और 200 और नगर पालिकाओं में निकाय चुनाव होने हैं।

क्या है ट्रिपल टेस्ट?

किसी राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग की स्थापना की जाए।