विकासवाद के जनक थे कल्पनाथ राय- दिव्येन्दु राय


प्रखर डेस्क। भारत सरकार में मंत्री एवं सांसद रहे स्व० कल्पनाथ राय जी की जयन्ती पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन गांधी सभागार, लखनऊ में हुआ था। कल्पनाथ राय का जन्म 04 जनवरी 1941 को तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य में आजमगढ़ जनपद के सेमरी जमालपुर ग्रामसभा में हुआ था और उस महान विभूति ने 6 अगस्त 1999 को दिल का दौरा पड़ने से 58 वर्ष की आयु में राम मनोहर अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने अंग्रेजी और समाजशास्त्र से एमए और एलएलबी किया था, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुछ समय तक वकील के रूप में भी कार्य किया। कल्पनाथ राय वैसे तो छात्र राजनीति से ही राजनैतिक तौर पर सक्रिय हो गए थे, 1959 में शिब्ली पीजी कॉलेज, आजमगढ़ से अध्यक्ष एवं 1962 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से महामंत्री निर्वाचित हुए थे लेकिन कई असफल प्रयासों के बाद 1974 में राज्यसभा के ज़रिए संसद में दस्तक दे पाए। उस दस्तक की आवाज़ इतनी जोरदार थी कि वह उनके पूरे जीवन में सुनाई देती रही और वह आजीवन संसद के सदस्य बने रहे, कई बार तो उन्होंने देश के कई मंत्रालयों को भी संभाला। वह 3 बार राज्यसभा एवं 4 बार लोकसभा के सांसद रहे। कम उम्र में माता – पिता का निधन होने के बाद से ही कल्पनाथ राय के संघर्षों की दास्ताँ… शुरू हो गई, उन्होंने उम्र के हर एक पड़ाव पर संघर्ष किया। अपने संघर्षों और त्याग के बदौलत उन्होंने जिस विकास रूपी कल्पवृक्ष को सींचा इसका सानी आज भी कोई नहीं है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तीन किलोमीटर के दायरे में तीन ओवरब्रिज नहीं रहे होंगे उस वक्त कल्पनाथ राय ने मऊ में तीन किलोमीटर के ही दायरे में ही तीन-तीन ओवरब्रिजों का निर्माण अपने प्रयासों से कराया था, चाहे कलेक्ट्रेट परिसर हो या फिर चाहे पॉलिटेक्निक, आईटीआई, जिला कारागार, कृषि अनुसंधान केन्द्र, दूरदर्शन केन्द्र, केन्द्रीय विद्यालय, कल्पवाटिका, मऊ रेलवे स्टेशन, दर्जनों दूरसंचार केन्द्र, आधा दर्जन विद्युत उपकेंद्र, विकास भवन इन सबका निर्माण उन्होंने ही कराया था। 1992 में उन्होंने मऊ जनपद के एक गांव सरायशादी को सोलर विलेज बना दिया था, वहां बिजली से चलने वाले सारे उपकरण सौर ऊर्जा से चलते थे। उसी समय उन्होंने मऊ जनपद में एक डबल डेकर बस चलवाई जो सौर ऊर्जा से चलती थी। मऊ से मधुबन तक बनी रोड का मानक उन्होंने खुद गाड़ी के अन्दर कप में चाय भरके रखकर चेक किया था कि कहीं कोई गड्ढा तो नहीं ना रह गया और उसी सड़क को देखने के लिए लोग अगल – बगल के जनपदों से आते थे।
उनका सपना मऊ में सिंगापुर के तर्ज़ पर विकास करना था लेकिन मात्र 58 वर्ष की अल्पायु में उनका निधन होना उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश के लिए बेहद दुःखदायक क्षण था क्योंकि उन्होंने ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक कार्य किए जिससे पूरा देश लाभान्वित हुआ। 90 के दशक के शुरुआती सालों में कल्पनाथ राय में लखनऊ में उत्तर प्रदेश में जनाधार खो रही कांग्रेस पार्टी का एक कार्यक्रम कराया था, जिसमें उस समय तक़रीबन 5 लाख के आसपास लोग इकट्ठा हुए थे, लखनऊ आने वाले सभी रास्ते बीसियों किलोमीटर तक जाम से घिर गए थे.अगले दिन के अखबारों में ख़बर निकली कि “कल्पनाथ राय हो सकते हैं सूबे के अगले मुख्यमंत्री।”कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व राज्य मंत्री उत्पल राय ने कहा कि कल्पनाथ राय विकासवादी सोच के जनक थे, उन्होंने विकास के जो कार्य कराए उससे लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। विशिष्ट अतिथि पूर्व आईपीएस अधिकारी अजय शंकर राय ने कहा कि अगर किसी को यह देखना हो की विकास कैसे कराया जाता है तो वह मऊ जाकर देख सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व आईएएस अधिकारी लालजी राय ने कहा कि मैंने अपने नौकरी के समय जो विकास का कार्य मऊ में होता देखा, वैसा कार्य होते मैंने अपने पूरे जीवन में नहीं देखा था। विशिष्ट अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय, पूर्व पीसीएस अधिकारी गिरीश सिंह व पूर्व पीसीएस अधिकारी मनोज राय, रजनीश राय, लल्लन राय, योगेन्द्र शर्मा, राकेश तिवारी, मुरारी राय, अजय राय, पुनीत राय, प्रमोद राय, अरुण राय, अतुल राय, दिव्येन्दु राय, सुनील राय, संजय सिंह, दिलीप राय आदि गणमान्य उपस्थित रहे।