बीते कई वर्षों में सदस्यता गवाने वालों में सपा, बसपा व कांग्रेस के ही नहीं बीजेपी के भी कई माननीय

यूपी विधानसभा के 403 विधायकों में से करीब आधे विधायकों के ऊपर आपराधिक मामले में दर्ज

निकट भविष्य में कई माननीयों की सदस्यता जाने का खतरा

प्रखर डेस्क। बीते कुछ वर्षों में लोकसभा या फिर विधानसभा से अपनी सदस्यता गंवाने वालों में सपा, बसपा व कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के भी कई माननीय शामिल है। बता दें कि 2 साल या उससे अधिक की सजा किसी मामले में अगर कोर्ट द्वारा दी जाती है तो संसद की सदस्यता हो या फिर विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी जाती है। सदस्यता गंवाने वालों सांसदों और विधायकों की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है। इससे साफ संदेश है कि माननीय होकर भी मनमानी करने की सजा से नहीं बचा जा सकता। गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी गैंगस्टर एक्ट में 4 साल की सजा पाने के बाद लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हो चुके हैं। बता दें कि 10 जुलाई 2013 को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर किसी विधायक या सांसद को किसी आपराधिक मामले में न्यूनतम 2 साल की सजा होती है तो वह तुरंत सदस्यता से अयोग्य हो जाएगा। उसी के तहत लगातार माननीय अयोग्य होते जा रहे हैं। बता दें कि सदस्यता गंवाने वालों में सपा के कद्दावर नेता आजम खान व बेटे अब्दुल्ला आजम विधानसभा की सदस्यता गवा चुके हैं। वहीं अगर सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की बात करें तो मुजफ्फरपुर की खतौली विधानसभा सीट से 2022 में विक्रम सिंह सैनी विधायक चुने गए, बाद में उन्हें कोर्ट ने दंगे के मामले में दोषी पाया। जिसके बाद उसकी सदस्यता समाप्त कर दी गई। दूसरे हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल भी हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने के बाद अयोग्य घोषित हो चुके हैं। वहीं उन्नाव के चर्चित सामूहिक दुष्कर्म केस के भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त हो गई थी। 2013 में कांग्रेस के सांसद रशीद मसूद को 4 साल की सजा मिलने के बाद चली गई। इसके अलावा राहुल गांधी की भी सदस्य हाल ही में जा चुकी है। बता दें कि आने वाले समय में जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत सजा होने के मामले में आई एक रिपोर्ट से अंदाजा लगया जा सकते हैं। रिपोर्ट में है कि वर्तमान में 18वीं विधानसभा के लिए चुने गए कुल 403 विधायकों में से लगभग आधे विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे में आने वाले समय मे जनप्रतिनिधियों की सदस्यता गंवाने की फेहरिस्त लंबी होनी तय मानी जा रही है।