नारकोटिक्स ब्यूरो के अधीक्षक धर्मेंद्र सोती ने फिर विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स (बैडमिंटन स्पर्धा) में जीता स्वर्ण पदक

प्रखर लखनऊ। हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती हैं ऐसा ही कुछ कर दिखाया सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स के धर्मेंद्र सोती ने नारकोटिक्स ब्यूरो के अधीक्षक धर्मेंद्र सोती ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में वह काम कर दिखाया जिससे न सिर्फ न सिर्फ केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ऑफ कंट्रोल कार नाम रोशन हुआ, बल्कि पूरे भारत का नाम भी रोशन हुआ। दरअसल ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स के तहत बैडमिंटन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर धर्मेंद्र सोती पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया। उन्होंने 50 से 60 वर्ष आयु वर्ग के एकल फाइनल में थाईलैंड के ननाथो पोले को लगातार तीन सेटों में हराकर भारत का झंडा ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में गाड़ दिया। धर्मेंद्र सोते ऐसे इंसान हैं, जिनकी दोनों किडनी खराब हो गई थी और 2001 में उनके छोटे भाई ने अपनी एक किडनी दान दी तब वह धीरे-धीरे वापस बैडमिंटन कोर्ट पर लौटे और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2013 में दक्षिण अफ्रीका में हुआ, विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स में हिस्सा लेने गए थे। वहां पर भी वह रजत रजत पदक जीत कर लौटे थे। इसके बाद 2015 में भी विश्व ट्रांसप्लांट गेम्स में उन्होंने कमाल का प्रदर्शन करते हुए, एक स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता था। उनकी इस जीत पर उनके टीम के केके श्रीवास्तव सहित अन्य सहयोगियों एवं कर्मचारियों ने बधाइयां दी हैं। उनके शानदार अद्भुत प्रदर्शन से पूरा देश गौरवान्वित है ।