यूपी के शराबी भी है गो सेवक, योगी सरकार को प्रतिवर्ष 400 करोड़ से अधिक देते है काऊ सेस नामक टैक्स

2019 से अब तक करीब दो हजार करोड़ काऊ सेस के रूप में प्राप्त हुआ है राजस्व

प्रखर लखनऊ/ डेस्क। आपको खबर की हेडिंग पढ़कर अजीब लग रहा होगा! लेकिन यह सच है। यूपी में शराबी भी है, गो-सेवक या फिर कह सकते हैं सबसे बड़े गौ सेवक है। उत्तर प्रदेश में शराब खरीद कर पीने वाले गौ माता की सेवा के लिए अपना योगदान 2019 से लगातार दे रहे हैं। बता दें कि प्रदेश में योगी सरकार के प्रथम कार्यकाल के दूसरे वर्ष से प्रतिवर्ष काऊ सेस के रूप में टैक्स लिया जाता है बता दें कि प्रत्येक सीसी पर 50 पैसे की दर से काऊ सेस लागू किया गया है। और बार की बोतल पर ₹10 की दर से काऊ सेस लिया जाता है। प्रदेश सरकार ने जनवरी 2019 से आबकारी नियमों में यह बदलाव किया। बता दें कि आबकारी विभाग को उम्मीद थी कि 156 करोड़ से अधिक आय होगी, लेकिन पहले ही साल 300 करोड़ से अधिक की काउ सेस के रूप में आय प्राप्त हो गई। इसके बाद इसे प्रीमियम शराब की बोतल पर भी लागू करने का निर्णय लिया गया। जिसके बाद सन 2020 में 425 करोड़, वर्ष 2021 में 475 करोड़ और वर्ष 2022 में 490 करोड रुपए की आय प्राप्त हुई। अब इसकी शुरुआत कैसे हुई आपको बताते हैं, इसकी शुरुआत 2018 में जब गोवंशो के लिए गौशालाओं का निर्माण हुआ तो इसके लिए बजट की आवश्यकता थी। ऐसे में प्रदेश सरकार ने आबकारी नीति बंदोबस्ती के तहत आंशिक बढ़ोतरी के बाद गौशालाओं के लिए अच्छा खासा बजट भी जुटा। इसका उपयोग गौशालाओं के लिए किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि करीब 500 करोड़ गौ सेवा के लिए आबकारी विभाग से प्राप्त राजस्व आखिर जा कहा रहा है। इस हिसाब से देखें तो 2019 से लेकर 2023 के बीच में काऊ सेस के रूप में करीब 2000 करोड़ के ऊपर की आय प्राप्त हुई। आखिर इतनी रकम गई कहां जबकि आए दिन रोड पर गोवंश घूमते नजर आएंगे या फिर खेतों में किसानों की फसलों को बर्बाद करते। बताते चलें कि पहले यह योजना केवल 1 वर्ष के लिए शुरू की गई थी। लेकिन अच्छा राजस्व प्राप्त होने पर इसे लगातार बढ़ा दिया गया। आबकारी विभाग का कहना है इससे बिक्री में कोई गिरावट नहीं आई है।