राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर केवी 39 जीटीसी वाराणसी में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

मुख्य अतिथि डॉ अजय कुमार मिश्रा उपायुक्त केंद्रीय विद्यालय संगठन वाराणसी संभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तृत चर्चा की

प्रखर वाराणसी। शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जनपद स्तर पर जी-20, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मकता से संबंधित जनभागीदारी कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय 39 जीटीसी वाराणसी कैंट में कार्यशाला का आयोजन किया गया। बतादे कि कार्यशाला में वाराणसी जनपद में स्थित सभी केंद्रीय विद्यालयों एवं जनपद के विभिन्न विद्यालयों से लगभग 110 अध्यापकों और शिक्षाविदों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन एचएन त्रिपाठी द्वारा किया गया। बताते चलें कि कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर मुख्य अतिथि डॉ अजय कुमार मिश्रा उपायुक्त केंद्रीय विद्यालय संगठन वाराणसी संभाग द्वारा माल्यार्पण करके किया गया। विद्यालय के छात्र- छात्राओं ने सम्मानित अतिथियों एवं प्रतिभागियों के सम्मान में स्वागत गीत प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि डॉo अजय कुमार मिश्र, उपायुक्त, केंद्रीय विद्यालय संगठन, वाराणसी संभाग ने जी-20 में भारत की अध्यक्षता एवं निपुण भारत अभियान पर प्रखरता से अपना विचार रखा। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ रचना श्रीवास्तव प्राचार्य, वसंत कन्या महाविद्यालय , कमच्छा, वाराणसी ने जी-20 जागरूकता विषय पर अपना व्याख्यान देकर विस्तृत चर्चा की।
वही के के सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। विशेष आमंत्रित अतिथि डी डी पाठक, प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय बीएलडब्लू , वाराणसी ने निपुण भारत मिशन पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में जिला नोडल संयोजक बैरिस्टर पाण्डेय, प्राचार्य केवी 39 जीटीसी वाराणसी कैण्ट ने इस कार्यशाला के लक्ष्य एवं उद्देश्य पर अपना विस्तृत विचार रखा। कार्यक्रम के समापन के समय समन्वयक एवं प्रधानाध्यापक एम हसन द्वारा सभी का आभार प्रकट किया गया। विद्यालय में आए हुए, समस्त प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को अपने प्रतिदिन के शिक्षण- प्रशिक्षण में शामिल करने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में के एन तिवारी, इमरान अंसारी, आनंद कुमार सिंह, पंकज कुमार शर्मा, सुश्री शालिनी शुक्ला, अभिषेक कुमार राय, विजय सिंह, सुनील भारती सहित तमाम विद्यालय के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मियों ने अपना भरपूर योगदान दिया।