प्रखर जौनपुर। जौनपुर लोकसभा क्षेत्र जौनपुर से सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा को सीबीआई ने वर्ष 2012 को विधानसभा मतदान खत्म होते ही 1 मार्च 2012 को गिरफ्तार कर लिया था। एक समय मायावती सरकार में उनकी तूती बोलती थी। उन पर मायावती का आर्शीवाद होने के कारण ही मामूली परिवार से ताल्लुक रखने वाले बाबू सिंह कुशवाहा राजनीति में ऊंचाइयां चढ़ने के साथ-साथ देखते ही देखते अमीर भी होते गए। उनकी गिनती आज कुछ चुनिंदा रईस राजनीतिकों में होती है। हालांकि बांदा जिले के बबेरू तहसील के पखरौली गांव में एक कृषक परिवार से जुड़े कुशवाहा ने जीवन यापन के लिए अतर्रा में ही लकड़ी का टाल खोलकर जीवन यापन शुरू किया। वर्ष 1985 में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले बाबू सिंह 17 अप्रैल 1988 को बसपा संस्थापक कांशीराम के संपर्क में आए। कांशीराम ने उनको दिल्ली बुलाया तो सियासी तकदीर आजमाने का ख्वाब लेकर बाबू सिंह दिल्ली गए। वहां उन्हें कांशीराम ने बसपा कार्यालय का कर्मचारी बना दिया। दिल्ली के बसपा कार्यालय में छह माह भी नहीं बीते होंगे कि उनको प्रोन्नत कर लखनऊ कार्यालय में संगठन का काम करने भेजा गया। 1993 में सपा व बसपा के गठबंधन हुए तो बाबू सिंह को बांदा का जिलाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद मायावती ने उनको बसपा दफ्तर में टेलीफोन ऑपरेटर की जिम्मेदारी सौंपी। 1997 में उनको पहली बार विधान परिषद सदस्य के तौर पर बड़ा इनाम मिला। वर्ष 2003 में बाबू को परिषद में दोबारा भेजा गया। 2003 में तीसरी बार बसपा की सरकार बनी तो कुशवाहा को पंचायती राज मंत्री बनाया गया।2007 में बसपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई तो बाबू सिंह को खनिज, नियुक्ति, सहकारिता जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिले। परिवार कल्याण विभाग बना तो बाबू को यह विभाग भी सौंपा गया। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के जो करोड़ों रुपये सरकार खर्च नहीं कर पाती थी, उसपर बाबू की नजर गई और फिर बंदरबांट का खेल शुरू हो गया। राजधानी में दो सीएमओ की हत्या और जेल में एक डिप्टी सीएमओ की रहस्यमयी मौत के बाद कुशवाहा और स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा ने 17 जुलाई 2011 को इस्तीफा दे दिया। 19 नवंबर को बाबू सिंह ने बगावत कर दी और बसपा ने भी नौ दिन बाद उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब वह एनआरएचएम घोटाले के अभियुक्त हैं। वर्ष 2012 के दो जनवरी को सीबीआइ ने उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें दस अन्य लोगों के साथ इस घोटाले में अभियुक्त बनाया था। एक माह बाद सीबीआइ ने इसी रिपोर्ट के आधार पर 1 मार्च 2012 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया।