प्रखर ग्राउंड रिपोर्ट, छठे चरण की इन 14 लोकसभा सीटों पर आसान नहीं बीजेपी की राह!

2019 में बीजेपी 9, सपा 1 तो बसपा के पास थी 4 सीटें

प्रखर डेस्क। 2024 के लोकसभा चुनाव का धीरे-धीरे समापन नजदीक आता जा रहा है। पांच चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है। छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होनी है। वही पूर्वांचल की 14 सीटों की बात करें तो अगली बार की तरह इस बार भी बीजेपी की राह आसान होती नहीं दिख रही। पूर्वांचल की इन 14 लोकसभा सीटों पर सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी बीजेपी को टक्कर दे रही है। पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री सहित तमाम बड़े नेता लगातार पूर्वांचल की इन सीटों पर डेरा डाले हुए थे। लगातार इन सीटों पर धुआंधार प्रचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री भी इन सीटों पर कई बड़ी रैलियां कर चुके हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि बीजेपी को भी लग रहा है कि इन 14 सीटों पर बीजेपी की राह आसान नहीं दिख रही। बताते चलें कि अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में भाई धर्मेंद्र यादव को 2024 में सफलता दिलाने के पूरा जोर लगा दिया है। धर्मेंद्र का प्रचार करने डिंपल यादव, चाचा शिवपाल, प्रो. रामगोपाल समेत सैफई परिवार ने पूरी ताकत झोंक दी है। देखना है कि विधायक गुड्डू जमाली का साथ भाजपा के दिनेश लाल यादव (निरहुआ) के लिए कितनी बड़ी चुनौती बनता है। हालांकि दिनेश लाल के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी ने भी अपने तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी है। बीते शाम छठवें चरण के लिए 14 सीट का चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है और अब चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री मोदी के गढ़ (सातवें चरण) में प्रवेश कर गया है। 2019 लोकसभा चुनाव की बात करे तो बीजेपी को इन 14 सीटों में से 9 सीटों पर सफलता मिली थी। 1 सीट आजमगढ़ सपा के खाते में आई थी और 4 सीटों पर बसपा सफल रही थी। इन चारों सीटों में से बसपा ने केवल जौनपुर की सीट पर अपने पुराने सांसद श्याम सिंह यादव को मैदान में उतारा। शेष 2019 में जीते तीनों सांसदों में से दो ने भाजपा और एक ने सपा का दामन थाम लिया है। रितेश पांडे भाजपा के ही टिकट पकर अंबेडकरनगर से चुनाव मैदान में हैं। सबसे दिलचस्प सीट मेनका गांधी की हैं। मेनका गांधी नौंवी बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने पुत्र वरुण गांधी, निषाद पार्टी के संजय निषाद के अलावा अपने समर्थन में प्रचार के लिए किसी बड़े स्टार प्रचारक का कम से कम सहारा लिया है। मेनका गांधी अपने पांच साल के कामकाज पर वोट मांग रही हैं। उनके सामने इंडिया गठबंधन के सपा प्रत्याशी राम भुआल निषाद हैं। राम भुआल निषाद को भाजपा के बाहुबली नेता चंद्रभद्र सिंह(सोनू) के सपा में आने और प्रतापगढ़ के राजा भईया का सपा को समर्थन मिलने के बाद चुनाव जीतने का पूरा भरोसा है। 25 मई को छठवें चरण की जिन 14 सीटों पर मतदान होना है, उनमें सुल्तानपुर, प्रतापगढ़,फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़,जौनपुर, मछलीशहर और भदोही हैं। इन सीटों पर 162 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होना है। इसमें सुल्तानपुर से मेनका गांधी नौंवी बार सांसद बनने के लिए तो डुमरियागंज से जगदंबिका पाल पांचवी बार सांसद बनने के लिए चुनाव मैदान में हैं। जगदंबिका पाल के मुकाबले में इंडिया गठबंधन से भीष्म शंकर तो बसपा से नदीम मिर्जा मैदान में हैं। प्रतापगढ़ की सीट भी काफी महत्वपूर्ण है। यहां से भाजपा ने वर्तमान सांसद संगम लाल गुप्ता को मैदान में उतारा है तो इंडिया गठबंधन ने सपा के एसपी पटेल को लड़ाया है। भाजपा ने प्रतापगढ़ में रघुराज प्रताप सिंह(राजा भैया) का समर्थन पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से राजा भैया की मुलाकात हुई। कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर, केन्द्रीय मंत्री संजीव कुमार बालियान समेत अन्य ने भी कोशिश की, लेकिन भाजपा के लिए राजा भैया के अंगूर खट्टे रहे। अंत में केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राजा भैया के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया। उ.प्र. के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राजा भैया के प्रभाव वाली तीन जिले की कुछ सीटों(प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, जौनपुर) जातिगत समीकरण के जरिए उन्हें साधने का भी दांव खेला। श्रावस्ती की सीट बी भाजपा के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है। श्रावस्ती से साकेत मिश्रा उम्मीदवार हैं। साकेत पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं और वह प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव और राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नृपेन्द्र मिश्र के बेटे हैं।जौनपुर की लोकसभा सीट इस बार कई माने में अहम है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन ने यह सीट भाजपा से छीन ली थी। इस बार इस सीट पर भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है। इंडिया गठबंधन ने पूर्व बसपाई और सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा को अवसर दिया है, जबकि ऐन वक्त पर बसपा ने प्रत्याशी बदलकर अपने वर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव पर भरोसा जताया है। जौनपुर की सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहां से पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह चुनाव लडऩा चाहते थे। अपहरण और रंगदारी से जुड़े मामले में सात साल की सजा के बाद नहीं लड़ सके। इसके बाद उनकी पत्नी श्रीकला सिंह रेड्डी ने निर्दलीय चुनाव लडऩे का हौसला दिखाया। इस बीच उन्हें बसपा ने टिकट दे दिया। नामांकन की तारीख खत्म होने से ठीक एक दिन पहले देर रात बसपा ने उम्मीदवार बदल दिया। कहा जाता है कि बसपा से टिकट कटने के बाद भाजपा नेताओं ने धनंजय सिंह और उनकी पत्नी ने समर्थन के लिए संपर्क किया। लिहाजा यहां मुकाबला काफी जोरदार है। सबसे पहले बात जौनपुर की। अंदरखाने से खबर है कि धनंजय ने भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन उनके समर्थकों के गले के नीचे यह बात नहीं उतर रही है। समाजवादी पार्टी के प्रो. रामगोपाल यादव ने भी इसमें राजनीतिक तडक़ा लगा दिया है। राम गोपाल यादव ने कहा किसी को आप चुनाव न लडऩे दो, टिकट वापस लेने का दबाव बनाओ और फिर उससे समर्थन का दबाव बनाओ? ऐसा कहीं होता है कि तिने के बाद भी उसके लोग आपका(भाजपा) समर्थन कर दें? इसी के साथ राम गोपाल यादव ने बाबू सिंह कुशवाहा के चुनाव जीतने की भविष्यवाणी कर दी। हालांकि सपा के बाबा दूबे अब भाजपा में चले गए हैं, लेकिन भाजपा उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह की राह बहुत आसान नहीं है। सुल्तानपुर में पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह(सोनू) के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से भाजपा की मुश्किल थोड़ा बढ़ सकती है। चंद्रभद्र सिंह तीन बार के विधायक हैं। 2019 में बसपा के टिकट से लडक़र मेनका गांधी को कड़ी टक्कर दी थी और महज 14 हजार वोट से हारे थे। इससे अगड़ी जाति की राजपूत बिरादरी सपा की तरफ झुक सकती है। सपा प्रत्याषी राम भुआल निषाद हैं और उन्हें यादव, मुस्लिम, निषाद समेत अन्य का साथ मिलने का भरोसा है। प्रतापगढ़ में राजा भैया के समीकरण ने चुनाव को पेचींदा बना दिया है। राजा भैया का झुकाव सपा की तरफ है। इलाहाबाद, फूलपुर की सीट पर भी इसका असर पड़ सकता है। जौनपुर जिले की मछली शहर सीट पर भी मुकाबला काफी कड़ा है। इसके अलावा इस पर तृणमूल कांग्रेस के भदोही से प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी भी भाजपा प्रत्याशी को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।