सांप के काटने पर इलाज करने के बजाय बदला लेने के चक्कर में चली गई युवक की जान!

सांप काटने के बाद युवक ने 1 घंटे के अंदर सांप को ढूंढ कर मारा

बुंदेलखंड क्षेत्र में सप्ताह में बदले के अंधविश्वास में जाती है करीब तीन जाने

प्रखर एजेंसी/झांसी। बुंदेलखंड इलाके में सर्पदंश को लेकर एक धारणा बनी हुई है या फिर अंधविश्वास है कि सांप के डसने के बाद पीड़ित व्यक्ति अगर उस सांप को मार देता है तो उसका जहर फैलता नहीं है और जान बच जाती है। आज के आधुनिकता में भी ऐसा हो रहा है, कह सकते हैं कि बुंदेलखंड में कुछ लोगों पर अंधविश्वास आज भी हावी ही है। शुक्रवार रात को यह अंधविश्वास एक युवक की जिंदगी पर भारी पड़ गया। खेत में सो रहे एक युवक को सांप ने पैर में डस लिया। इसके बाद युवक इलाज कराने जाने की जगह सांप को मारने के लिए एक घंटे तक सांप की तलाश करता रहा। और युवक ने सांप को बिल से निकालकर अखिरकार मार ही दिया। मगर युवक अपनी जान न बचा सका। सही समय पर इलाज न मिलने से युवक के शरीर में जहर फैल गया और उसकी मौत हो गई। बतादे कि झांसी जिले के निवाड़ी कोतवाली के असाटी गांव निवासी ठाकुरदास केवट (28) पुत्र काशीराम खेती-किसानी करता था। परिजनों ने पुलिस को बताया कि शुक्रवार रात करीब आठ बजे ठाकुरदास खेत पर सो रहा था। उसी समय एक विषैले सर्प ने उसके पैर में डस लिया।सांप के डसने के बाद ठाकुरदास की नींद खुल गई। उसने सांप को भागते हुए देख लिया और शोर मचाकर आसपास के खेतों पर सो रहे लोगों को बुला लिया। इसके बाद ठाकुरदास इलाज और दर्द को भूलकर अंधविश्वास के चलते सांप को मारने के लिए ढूंढने लगा। करीब एक घंटे तक ठाकुरदास सांप को तलाश करता रहा। एक बिल में उसे सांप नजर आया। उसने सांप को बिल से बाहर निकालकर मार डाला।
इधर, सांप के डसने के बाद ठाकुरदास के शरीर में जहर फैलने लगा और वह अचेत हो गया। सूचना पर परिवार के लोग भी पहुंच गए। परिजन उसे लेकर गांव में ही तांत्रिक के पास चले गए। काफी देर तक वह झाड़-फूंक करता रहा, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। तांत्रिक के हाथ खड़े कर देने पर देर-रात परिजन उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया है। परिवार में पत्नी भारती समेत पांच साल का पुत्र एवं दो साल की पुत्री है। ठाकुरदास ही परिवार का इकलौता कमाने वाला था। परिवार में अब कमाने वाला भी कोई नहीं बचा। सर्पदंश के मामलों में झांसी में हर सप्ताह दो से तीन मौतें अंधविश्वास के चलते होती हैं। सांप के डसने के बाद लोग इलाज कराने के बजाय झाड़-फूंक कराने वालों के पास मरीज के लेकर पहुंचते हैं। तांत्रिक जब हाथ खड़े कर देता है तो इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल लाते हैं। झाड़-फूंक के चलते इलाज मिलने में देरी होने से पीड़ित की मौत हो जाती है।