प्रखर वाराणसी। देश की राजधानी दिल्ली जल संकट से जूझ रहा है। दिल्ली जैसे जल संकट का खतरा काशी पर भी मंडरा रहा है। हाल ये है भीषण गर्मी के कारण काशी में गंगा का जलस्तर कम हो रहा है और इससे वाराणसी में जल आपूर्ति पर संकट के बादल मंडराने लगा है। शहर की पहचान गंगा नदी के बीच में उभरती रेत को लेकर लोगों में इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि विशाल नदी के बीच ऐसे परत घटते जलस्तर का सूचक हैं और आने वाले समय में इसके और भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वाराणसी में गंगा का जलस्तर अगर 3 फीट और नीचे आया तो 2 लाख 20 हजार घरों में लगे नल सूख सकते हैं। भविष्य के खतरे को देखते हुए वाराणसी जल संस्थान ने इसके लिए सिंचाई विभाग कानपुर को पत्र लिखकर कानपुर बैराज से पानी छोड़ने का आग्रह किया है। ताकि वाराणसी में जल आपूर्ति की समस्या न उत्पन्न हो।वाराणसी जल संस्थान के जीएम रघुवेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि वाराणसी में गंगा किनारे लगे पंपिंग स्टेशन से जल पंपिंग के लिए 193 फीट जल होना अनिवार्य है। वर्तमान में गंगा का जलस्तर 189 फीट पर आ गया है। ऐसे में यदि जलस्तर 3 फीट तक और गिरा तो जल पंपिंग नहीं हो पाएगा और पूरे शहर में पेय जल के लिए हाहाकार मच जाएगा। बता दें कि वाराणसी में लगे तीन पंपिंग स्टेशन से हर दिन 125 एमएलडी जल पंपिंग के बाद उसका शोधन किया जाता है और फिर उसे 2 लाख 20 हजार घरों तक पहुंचाया जाता है। आंकडों के मुताबिक, वाराणसी में हर दिन 110 एमएलडी पानी की सप्लाई जल संस्थान करता है। वाराणसी में भीषण गर्मी के कारण पहले ही कई इलाको में पेयजल की समस्या सामने आ रही है। ऐसे में यदि कानपुर बैराज से पानी नहीं छोड़ा गया तो आने वाले दिनों में काशी में बड़ा जल संकट का खतरा आ सकता है।