अजगरा के कई बूथों पर भाजपा के पदाधिकारियो ने ही नहीं दिया महेंद्रनाथ को वोट


खूंटहा बूथ पर पदाधिकारी 25 वोट मिले सिर्फ 6

बसपा भगतपुर , दशनीपुर , औरा , भंदहा , भिदूर , बबियांव , ताला , गडसरा , मगरहुआ , अजगरा , चौबेपुर व बर्थरा खुर्द में रही बीजेपी से आगे

अजगरा में 171 बूथों पर पिछड़ गई भाजपा , बसपा ने 24 पर मारी बाजी

प्रखर चंदौली/वाराणसी। भाजपा न केवल दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है बल्कि उसके पास बूथ लेवल कमेटी और उसके नीचे पन्ना प्रमुख तक का संगठन है । पार्टी कहती है कि बूथ जीत लिया, तो सब जीत लिया। लेकिन अपनों के धोखे की वजह से बीजेपी की उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में स्थिति बदतर हो गई। धीरे-धीरे अपनों के भीतर घात खुलकर सामने आ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कई बूथों पर पदाधिकारी ने ही बीजेपी को वोट नहीं दिया। भीतर घात की बात तो कई लोकसभा में सामने आ रही है लेकिन चंदौली लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले अजगरा विधानसभा क्षेत्र की बात करे तो भाजपा के टी . राम यहां से विधायक हैं । वह अपने बराबर वोट भी इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डा . महेंद्र नाथ पांडेय को नहीं दिला सके । 2022 में भाजपा के टी . राम को 1,01,088 वोट मिले थे जो घटकर 97,381 रह गए । इस प्रकार डा . महेंद्र नाथ पांडेय को 3707 मत कम मिले । वहीं सपा ने अपना वोट शेयर बढ़ा लिया । 2022 में सपा गठबंधन को 91,928 मत मिले थे जो 2024 में बढ़कर 97,608 हो गए । विपक्षी गठबंधन ने 5,680 मत बढ़ा लिए । इसी प्रकार बसपा के वोट भी 42,301 से घटकर 35,403 रह गए । इस प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में चंदौली लोकसभा में भाजपा को जीत में बढ़त दिलाने वाला अजगरा विधानसभा क्षेत्र कोई कमाल नहीं कर पाया। कहां जा रहा है कि अजगरा विधानसभा के कई बूथ पर बीजेपी के पदाधिकारियो ने ही बीजेपी को वोट नहीं दिया है। अब सवाल यह है कि आखिरकार कौन सा कारण था कि भाजपा के पदाधिकारी ने अपने ही पार्टी के प्रत्याशी को वोट नहीं दिया? इस बार के लोकसभा में कई जगह पार्टी चुनाव के लिए बूथ जीतना भी मुश्किल हो गया । इतना ही नहीं कुछ बूथ ऐसे थे, जहां पार्टी की बूथ लेवल कमेटी में जितने पदाधिकारी थे उतने भी वोट भाजपा को नहीं मिले । पार्टी के बूथ कमेटी और पन्ना प्रमुखों की संख्या के बराबर भी नहीं हुई वोटिंग हुई। चंदौली संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री रहे डा . महेंद्र नाथ पांडेय तीसरी बार प्रत्याशी थे । उन्हें वाराणसी की अजगरा विधानसभा सीट पर पदाधिकारियों तक के वोट नहीं मिले । इसे इस तरह समझा जा सकता है । भाजपा की बूथ कमेटी में अध्यक्ष , उपाध्यक्ष , मंत्री समेत कुल 11 या 15 सदस्य होते हैं । इसके अलावा पर पन्ना प्रमुख होते हैं । किसी बूथ पर अगर 1200 मतदाता हैं तो वहां प्रत्येक पन्ने के 60 मतदाता के हिसाब से 20 पन्ना प्रमुख हुए । अजगरा के बूथ खुटहां ( 252 ) पर डा . महेंद्र पांडेय को मात्र छह वोट तो सपा के वीरेंद्र सिंह को 456 मत मिले । इस बूथ पर कुल 837 मतदाता पंजीकृत हैं । इस हिसाब से यहां 14 पन्ना प्रमुख थे । अब अगर 11 सदस्यीय बूथ कमेटी मान ली जाए तो पन्ना प्रमुख मिलाकर उस बूथ पर कुल पदाधिकारियों की संख्या 25 होती है । इसका मतलब है कि डा . महेंद्र नाथ पांडेय को न तो इन पदाधिकारियों ने वोट दिया न ही इनके परिवार ने । इसी प्रकार पूर्व माध्यमिक विद्यालय अहिरान के बूथ संख्या चार पर भाजपा को 38 व सपा को 756 मत ही मिले। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हालत इतनी खराब थी कि वह विधानसभा क्षेत्र में आने वाले कुल 380 बूथों में से 171 पर पिछड़ गए । काशी कृषक इंटर कालेज हरहुआ , प्रा . वि . इंदापुर , दलपतपुरवा , हरदासीपुर , टेकारी , हथियर खुर्द , कंपोजिट वि . बर्थरा खुर्द , पंचायत भवन बहरामपुर के कुछ बूथों पर सपा के वीरेंद्र सिंह को एकतरफा वोट मिले । इसी प्रकार बसपा को 24 बूथों पर बढ़त मिली । बसपा भगतपुर , दशनीपुर , औरा , भदहा , भिदूर , बबियांव , ताला , गडसरा , मगरहुआ , अजगरा , चौबेपुर , बर्थरा खुर्द आदि पर सपा – भाजपा से आगे रही । विद्यालय सालवाहनपुर ( 43 ) पर भाजपा को 24 व सपा को 215 , कंपोजिट विद्यालय भैमी ( 95 ) पर भाजपा को 12 व सपा को 372 , कंपोजिट विद्यालय धौरहरा ( 341 ) में भाजपा को 27 तो सपा को 447 , प्रा.वि. डुडवां ( 353 ) पर भाजपा को 30 तो सपा को 348 , कंपोजिट वि . दहा कला ( 363 ) पर भाजपा को 41 तो सपा को 383 वोट मिले । ये तो कुछ बूथ के उदाहरण हैं । इनकी संख्या और अधिक है ।