प्रखर भदोही। सुरियावां कोतवाली के हेड कांस्टेबल सुरेंद्र प्रताप ने खुद को एसओजी का सिपाही बताकर अपने चार अन्य साथियों के साथ मिलकर मैनपुरी निवासी गिरीश कुमार को अवैध तरीके से हिरासत में ले लिया। इसके बाद उसकी पत्नी सीमा से 2.30 लाख रुपये वसूल लिए। इस वसूली कांड से पुलिस की खुद किरकिरी हुई और पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठने लगे। चर्चा ये भी है कि चार अन्य के अलावा भी कुछ पुलिसकर्मी ऐसे मामले में शामिल हो सकते हैं। विभाग में लगे दाग के बाद सख्त मोड में आई एसपी ने बुधवार की देर रात 24 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया। एसपी की इस कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप मच गया। गौरतलब है कि अभी बलिया का वसूली कांड लोगों के जेहन में तैर ही रहा था कि भदोही का यह मामला पुलिस विभाग की बड़ी किरकिरी बनकर सामने आ गया । भदोही के सुरियावां कोतवाली के हेड कांस्टेबल की वसूली मामले में गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी कात्यायान सख्त रूख अख्तियार किया है। एसपी ने औराई कोतवाली हेड कांस्टेबल श्यामसुंदर यादव, कांस्टेबल पुष्पेन्द्र अहिरवार, अवधेश कुमार के साथ चौरी के मुख्य आरक्षी घनश्याम यादव, इंदल कुमार, श्यामसुंदर यादव, भदोही कोतवाली के हेड कांस्टेबल धर्मेन्द्र कुमार, घनश्याम पांडेय, कांस्टेबल प्रमोद कुमार, अमित गुप्ता को पुलिस लाइन से संंबंध किया।
इसी तरह सुरियावां के मुख्य आरक्षी आलोक सिंह, राजू बंशीवाल, कांस्टेबल सुनील सिंह, गोपीगंज के मुख्य आरक्षी हरिकेश यादव, प्रमोद तिवारी, कांस्टेबल योगेश कुमार, ऊंज के मुख्य आरक्षी फजी हुज्जमा सिद्दकी, अजीत सिंह, कोईरौना के मुख्य आरक्षी गुरफाम अहमद, दुर्गागंज के कांस्टेबल अजीत कुमार, विकास के साथ कोईरौना के विकास कुमार को लाइन हाजिर कर दिया। पुलिस अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी कात्यायन ने बताया कि कानून व्यवस्था के अनुपालन में पुलिसकर्मियों को पुलिस लाइन से संबंध किया गया है। पूरे पूर्वांचल में इन दिनों पुलिस की अवैध वसूली के किस्से आम हो गए है जिससे सरकार की कार्यशैली पर सीधे सवाल उठ रहे हैं।