वाराणसी में गंगा और वरुणा उफान पर गलियों में हो रहा शवदाह
प्रखर वाराणसी। प्रदेश के मैदानी का इलाकों में भले ही सुखे की स्थिति बनी हुई हो लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही वर्षा के कारण वाराणसी में गंगा और वरुणा दोनों नदियां अपने पूरे उफान पर हैं। बनारस के मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह की स्थिती दुरूह हो गई है। वाराणसी में गंगा और वरुणा उफान पर है। गंगा का जलस्तर वाराणसी में 10 सेंटी मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। गंगा के जलस्तर में हुई तेजी से बढ़ोतरी से काशी के सभी घाट पूरी तरह जलमग्न हो गए है। घाट किनारे होने वाला शवदाह और पूजा पाठ काशी की गलियों में किया जा रहा है। गौरतलब है कि पहाड़ी क्षेत्र में बारिश और गंगा बैराज से छोड़े जा रहे पानी की वजह से मैदानी क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए है। वही दूसरी ओर गंगा की सहायक वरुणा नदी उफान के साथ रिहायसी इलाको की ओर रुख करने लगी है। वरुणा नदी का पानी रिहायसी क्षेत्रों में आने से लोग अब अपने घरों को छोड़ सुरक्षित स्थान पर पलायन कर रहे है। गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से जलमग्न हुए घाटो पर अब शवदाह नही हो पा रहा है।
ऐसी स्थिति में अब काशी के हरिश्चंद्र घाट पर होने वाले शवदाह को गलियों में करवाया जा रहा है। शवदाह करवाने वाले लोगो के अनुसार घाट पूरी तरह जलमग्न होने से शवदाह के लिए आने वाले शव का गलियों में अंतिम संस्कार करना मजबूरी है, यदि ऐसे ही गंगा का जलस्तर बढ़ता है तो शवों का अंतिम संस्कार घरों की छत और सड़कों पर करवाया जाएगा। घाट जलमग्न होने से पुरोहित अपनी चौकियों को सड़क पर रखा है और गंगा तट पर आने वाले श्रद्धालुओं को सड़क पर ही पूजा पाठ और श्राद्ध कर्म करवा रहे है। हालांकि वाराणसी में यह स्थिति प्रतिवर्ष रहती है लेकिन इस साल गंगा के किनारो पर स्थित जर्जर मकान लगातार ध्वस्त हो रहे हैं। जिनमें जान माल दोनो का बड़ा नुकसान हो रहा है। इस स्थिति में प्रशासन के आवश्यक कदम उठाने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।