आपके बच्चे जान हथेली पर लेकर जाते हैं स्कूल, सरकार के आदेश के बाद भी डग्गामार वाहन सड़क पर
प्रखर डेस्क। आपका बच्चा यदि स्कूल जा रहा है तो सचेत हो जाइए, क्योंकि आरटीओ और पुलिस ने स्कूल प्रशासन के इशारे पर अपनी आंखे मूंद रखी हैं। सचेत आप को होना है। स्कूल बसों और वैन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद कोई भी इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है। बल्कि हर कोई एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के लिए तैयार बैठा है। आप सचेत नहीं हुए तो समझिए आपके बच्चे का जीवन सुरक्षित नहीं है। पिछले दिनों परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के निर्देश पर स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया गया था लेकिन इसके खत्म होते ही प्राइवेट कार, ऑटो, ई रिक्शा फिर से सड़कों पर आ आए गए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले वाहनों का तो भगवान ही मालिक है। परिवहन विभाग के अफसरों का आरोप है कि ऐसे वाहनों की चेकिंग के दौरान पुलिस सहयोग नहीं करती। वहीं पुलिस का कहना है कि आरटीओ स्कूल प्रबंधन से मिला हुआ है।
अगर आप अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं तो आरटीओ से फिटनेस सहित सभी आवश्यक सर्टिफिकेट के अलावा निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए।
– स्कूली वाहन का रंग पीला होना चाहिए।
– वाहन में आगे-पीछे की ओर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा हो।
– वाहन की खिड़कियों पर लोहे की ग्रिल होनी चाहिए।
– आग बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र हों।
– इमरजेंसी नंबर लिखे हों
– वाहन में एक सहायक होना अनिवार्य है
– दरवाजे पर लॉक सिस्टम होना चाहिए।
– फर्स्ट एड बाक्स हो।
– स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिए।
– ड्राइवर के पास डीएल हो।
– जीपीएस या सीसीटीवी कैमरा लगा हो।
– ड्राइवर का पुलिस वेरीफिकेशन जरूरी है।
लेकिन स्कूल प्रबंधन और अधियाकारियों की सेटिंग के कारण बच्चों के जीवन पर खतरा हर समय बना रहता है। लेकिन सरकार के प्रयास के बाद भी इसमें कोई सुधार या बदलाव नहीं होता दिखाई दे रहा है।