करोड़पति के बच्चों का एडमिशन आरटीई में उम्र,आय और निवास प्रमाणपत्रों की जॉच का आदेश

करोड़पति के बच्चों का एडमिशन आरटीई में उम्र,आय और निवास प्रमाणपत्रों की जॉच का आदेश

प्रखर वाराणसी। निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को लॉटरी के जरिये बड़े निजी स्कूलों में दाखिला दिया जाता है। उनकी पढ़ाई का खर्च सरकार वहन करती है। लेकिन इस कानून का भी समर्थवानो ने मजाक बना कर रख दिया है। मामला वाराणसी का है जहां के बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ अरविंद पाठक ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले 10 विद्यार्थियों के प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद उनकी जांच का आदेश दिया है।है। गौरतलब है कि स्कूलों ने जांच के दौरान फर्जी आय, निवास और जन्म प्रमाणपत्रों के आधार पर प्रवेश लेने का आरोप लगाते हुए बीएसए से अभिभावकों की शिकायत की है। बीएसए ने अभिभावकों को नोटिस जारी कर निवास, आय और जन्म प्रमाणपत्रों की जांच के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा है। बतादें कि इस बार वाराणसी में नौ हजार विद्यार्थियों को आरटीई के तहत विभिन्न निजी स्कूलों में दाखिला दिया गया है। मगर, जिन विद्यालयों को दाखिला लेना था, उन्होंने सत्यापन के दौरान कई विद्यार्थियों के प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी का खुलासा किया है। दिल्ली पब्लिक स्कूल ने आरटीई के तहत प्रवेश के लिए भेजी गई विद्यार्थियों की सूची से छह विद्यार्थियों को नियम विरुद्ध दाखिला लेने का आरोपी पाया है। स्कूल ने बीएसए को लिखे पत्र में छात्र आयांश सिंह, शौर्य प्रताप सिंह, सेंट थॉमस, स्वास्तिक दुबे, आयांश यादव, जाह्नवी राय के अभिभावकों के पास आरटीई के नियमों के विपरीत ज्यादा संपत्ति और निवास स्थान को लेकर आपत्ति जताई है। जबकि सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल ने छात्र अक्षज पटेल की जन्मतिथि और वार्षिक आय में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। हद ये है कि एक छात्र ने तीन मोबाइल नंबरों से अलग-अलग आवेदन कर दिया। अचरज की बात यह कि उसे दो सीटें अलॉट हो गईं। बीएसए ने सभी अभिभावकों को नोटिस जारी किया है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारीयों और कर्मचारियों की मिली भगत से यह पुरा खेल चलता है। बिना कर्मचारियों और अधिकारियों के यह संभव नहीं है कि इस तरह का फर्जीवाड़ा हो और उन्हे कानो कान खबर तक नहीं हो।