कारगिल शहीद के माता पिता दाने – दाने को मोहताज, पत्नी ने पैसा और पेट्रोल पंप लेकर बसा लिया है अलग संसार

कारगिल शहीद के माता पिता दाने – दाने को मोहताज, पत्नी ने पैसा और पेट्रोल पंप लेकर बसा लिया है अलग संसार

प्रखर डेस्क। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले….. तमाम कहानियां कविताओं के साथ देश भर में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है। कसमें खाई जा रही है शहीदों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे आदि आदि…….
वहीं इन शहीदों जिन्होंने सहर्ष अपना सर्वोच्च बलिदान देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर के दे दिया उनको जन्म देने वाले माता पिता के लिए जीवन कितना कठिन है इसका अंदाजा सिर्फ यह कहानी पढ़ कर आप लगा सकते हैं । कारगिल में अपनी जान देकर देश की रक्षा करने वाले शहीद नरेश सिंह के माता-पिता आज दाने- दाने को मोहताज हैं। सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता को लेकर उनकी पत्नी ने उनके माता-पिता को अकेले छोड़ दिया है उम्र के इस पड़ाव में जब बेटे – बहू और परिवार की जरूरत होती है। तब वह लोग एक-एक रोटी का संघर्ष कर रहे हैं मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का है। शहीद नरेश सिंह का जन्म अलीगढ़ के तहसील इगलास में स्थित गांव छोटी बल्लभ में एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री राजेन्द्र सिंह के दो पुत्रों में नरेश सिंह छोटे पुत्र थे। इन्हें बचपन से ही खेलकूद का बहुत शौक था। बड़े होने पर इन्होंने सेना में जाने का निर्णय लिया ताकि देश के लिए कुछ करके दिखा सकें लेकिन देश की रक्षा करते हुए जब कारगिल युद्ध के दौरान अपनी चौकियों की रक्षा में कैप्टन सौरभ कालिया के नेतृत्व में सीमा की रक्षा करते हुए चौकी क्षेत्र का दौरा कर रहे तब अन्य साथियों के साथ नरेश सिंह को पाकिस्तानी सेना द्वारा अपहृत कर लिया गया, 12 जून 1999 में शहीद नरेश सिंह का शव उनके घर छोटी बल्लभ में पहुंचा था। शहादत की कहानियां सुनाते समय शहीद के पिता की आंखों में आंसू और तंगी हालत देख कर जेहन में सिहरन होने लगती है। उनकी बेबसी लाचारी जिसको देखने वाला कोई मौजूद नहीं है। उम्र के इस पड़ाव में शहीद के माता-पिता अकेले ही गुजर बसर करते हैं, राजेंद्र सिंह का कहना है उनकी पत्नी और वह खुद घर में अकेले रहते हैं शरीर में इतनी जान नहीं है कुछ काम कर सकें अब तो सिर्फ जान निकलने के समय का इंतजार है। सरकार से कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि जब पहले ही कुछ नहीं दिया तो सरकार अब क्या मदद करेगी।
शहीद दिवस के मौके पर तमाम लोग आते हैं और उनको भरोसा और बेटे शहीद नरेश सिंह की याद दिलाकर फिर अकेला छोड जाते हैं । आज तक शहीद नरेश सिंह के माता-पिता को वह मदद नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी। जबकि नरेश सिंह की पत्नी को पेट्रोल पंप और आर्थिक मदद सरकार के द्वारा दी जा चुकी है । पत्नी सब कुछ समेट कर शहीद नरेश सिंह के माता पिता को छोड़ कर जा चुकी है। वहीं शहीद के माता-पिता का कहना है उनका बेटा उनसे जुदा हो गया लेकिन उन्हें सरकार के द्वारा जो ₹5000 महीने मिलते हैं वह भी बीते अक्टूबर माह से अब तक नहीं मिले हैं। वीर शहीदों को जन्म देने वाले माता-पिता के बारे में भी सरकार को समय रहते चिंतन की आवश्यकता है। यही सरकार और समाज की तरफ से शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।