राजर्षि के मानस पुत्रो ने मनाया पूज्य राजर्षि की जयन्ती

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राजर्षि मानस पुत्रो ने मनाया पूज्य राजर्षि की जयन्ती

– काशी से उठी पूज्य राजर्षि को भारत रत्न देने की मांग

प्रखर वाराणसी। प्राचीन छात्र एसोसिएशन उदय प्रताप कालेज वाराणसी के सदस्यो ने उदय प्रताप कालेज के संस्थापक राजर्षि उदय प्रताप सिंह जू’देव की 174 वीं जयंती एसोसिएशन के अध्यक्ष डाक्टर विन्ध्याचल सिंह के नेतृत्व मे मनाया गया ।
कालेज परिसर स्थित राजर्षि प्रतिमा तथा राजर्षि उद्दान भोजूवीर पर माल्यार्पण कर मानस पुत्रों ने चरणो मे शीश नवाया।

तत्पश्चात प्राचीन छात्रो का का एक दल डॉक्टर राम सुधार सिंह के नेतृत्व मे एसोसिएशन द्वारा स्थापित भिनगा राज अनाथालय कमच्छा, वाराणसी स्थित राजर्षि मन्दिर मे विगत वर्षो की भांति माल्यार्पण कर राजर्षि जयन्ती मनाया। इस अवसर पर एसोसिएशन के सदस्य कृषि विशेषज्ञ- आनन्द प्रकाश ने कहा राजर्षि के कृतित्व का ऋणी बनारस ही नही सम्पूर्ण भारत है। भिनगा नरेश ने 1909 मे आजादी की लड़ाई काशी से शिक्षा के माध्यम से किया जिसका मूल स्व- स्वराज, स्वाभिमान एवं स्वतंत्रता की नवज्योति जला कर “दृढ राष्ट्र भक्ति पराक्रमश्च का” मूलमंत्र दिया जहां राष्ट्र प्रथम है सर्वोपरी है। उनकी सोच थी की यहां से ऐसे छात्रो का निर्माण हो जो शारीरिक व बौद्धिक रूप से पूर्ण स्वस्थ ,क्षत्रिय गुण धर्म धारण कर राष्ट्र भक्त बने,तथा भारत माता की सेवा मे अपना सर्वस्व समर्पण देने को सदैव तत्पर रहें, आजादी की लड़ाई लड़े। उसी सोच से प्रभावित होकर 1916 मे प्रयाग राज से चलकर भारत रत्न मालवीय जी ने बीएचयू की स्थापना किया तथा 1920 मे राष्ट्र रत्न शिव प्रसाद गुप्त जी के प्रयास से काशी विद्यापीठ बना ।

किन्तु दुर्भाग्य ये रहा कि आजाद भारत मे राजर्षि के समर्पण, त्याग, तपस्या, दान, राष्ट्र भक्ति और दूरदृष्टि को वह स्थान नही मिला जो मिलना चाहिए था। मानस पुत्रों ने महामहिम राष्ट्रपति तथा माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार से राजर्षि जी को भारत रत्न दिए जाने की मांग की है। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रूद्रपाल सिंह,अमरनाथ सिंह, आनन्द प्रकाश सिंह, रजत सिंह, अभय सिंह, राम वृक्ष सिंह, मेजर अरविंद सिंह, रवि गुप्ता, मुन्नी यादव, आत्मा आदि सैकड़ो लोग कार्यक्रम मे सम्मिलित हुए। संचालन आनन्द प्रकाश सिंह ने किया।