प्रखर डेस्क।माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की मजिस्ट्रेटी जांच में बयान के लिए उसके परिवार को कई नोटिसें भेजी गईं पर कोई भी बयान दर्ज कराने नहीं आया। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मुख्तार की मौत पर परिजनों ने ही संदेह जताया था की मुख्तार अंसारी की मौत हार्ट अटैक से नही हुई है।लेकिन बयान के लिए वे (परिवार) ही नहीं आए। सभी वैज्ञानिक साक्ष्यों, संबंधित लोगों के बयानों को जांच में शामिल किया गया। जिसका निष्कर्ष यही है कि मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई। मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश 29 मार्च को हुआ था। रिपोर्ट 15 दिन में डीएम को देनी थी, पर इसमें पांच माह से अधिक का समय लगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान मुख्तार के परिवार को बयान दर्ज कराने के लिए कई नोटिसें भेजी गईं, पर बयान दर्ज कराने कोई नहीं आया। इस संवेदनशील मामले में पोस्टमार्टम शुरू होने से पहले ही मजिस्ट्रेटी और ज्यूडिशियल जांच के आदेश कर दिए गए थे। मजिस्ट्रेटी जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व और ज्यूडिशियल जांच सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमपीएमएलए कोर्ट गरिमा सिंह को मिली। मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट 15 दिन और ज्यूडिशियल जांच रिपोर्ट एक माह में देने के आदेश हुए थे
मजिस्ट्रेटी जांच में कोई भी बयान दर्ज करा सकता था। इसके लिए 15 अप्रैल तक का समय दिया गया था। वहीं, ज्यूडिशियल जांच में बयान के लिए 20 अप्रैल तक का समय था। प्रयोगशाला से रिपोर्ट आने और वायरल कटेंट की तस्दीक करने, मुख्तार को इलाज के दौरान कौन-कौन सी दवाएं दी गईं, क्या-क्या तकलीफ थी आदि जानकारी जुटाकर रिपोर्ट बनाने में पांच माह से अधिक समय लगा। इसी हफ्ते मजिस्ट्रेटी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई।मेडिकल कॉलेज में माफिया मुख्तार अंसारी ने जिस बेड पर दम तोड़ा था, उस बेड, इमरजेंसी वार्ड, आईसीयू और पोस्टमार्टम हाउस की भी जांच कर सभी कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए। उसे कितने बजे लाया गया, कौन सी दवाएं दीं और इंजेक्शन लगाए गए, कितनी देर में इलाज शुरू हुआ, जब लाया गया था तो कौन-कौन सी तात्कालिक जांच हुई। इन सब सवालों के जवाब रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं। बांदा मंडल कारागार से जिस एंबुलेंस से मुख्तार अंसारी को 28 मार्च की शाम मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, उसके चालक और उसमें तैनात कर्मियों से भी पूछताछ हुई।