उपचुनाव – मझवां विधानसभा लोकपति त्रिपाठी भी रहे हैं विधायक, बसपा ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय

उपचुनाव – मझवां विधानसभा लोकपति त्रिपाठी भी रहे हैं विधायक, बसपा ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय

प्रखर वाराणसी। पूर्वांचल के मिर्जापुर लोकसभा की यह सीट 1952 में अस्तित्व में आयी यह विधानसभा सीट 13 नवंबर को हो रहे उपचुनाव में सबसे चर्चित सीटों में गिनी जा रही है। साल 1952 से ही मझवां विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और बिंद बिरादरी का ज्यादा दबदबा रहा है। गौरतलब है कि मिर्जापुर लोकसभा की यह सीट 2022 में निषाद पार्टी से डॉक्टर विनोद कुमार बिंद जीते थें। भदोही से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा जाने के बाद यह सीट खाली हुई है।बता दें कि मझवां विधानसभा सीट कई दिग्गजों का राजनीतिक अखाड़ा रह चुका है। लोकपति त्रिपाठीभी यहां से विधायक चुने जा चुके हैं। इस उप चुनाव में भाजपा ने यहां से सुचिस्मिता मौर्य को टिकट दिया है। वह 2022 तक इस सीट से विधायक रह चुकी हैं। बतादें कि 2002 से लगातार तीन बार इस सीट पर रमेश बिंद का कब्जा था। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सुचिस्मिता मौर्य ने रमेश बिंद को हरा दिया था। समाजवादी पार्टी ने इस उपचुनाव में पूर्व विधायक और भदोही के पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी, डॉ. ज्योति बिंद को मैदान में उतारा है। रमेश बिंद ने मझवां विधानसभा सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल की थी। लेकिन 2017 में बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्या ने उन्हें हरा दिया था। 1952 से 1974 तक यह विधानसभा सुरक्षित थी ।1974 में यह सीट सामान्य हो गई। 1974 में कांग्रेस के रुद्र प्रसाद सिंह, 1977 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिवदास, 1980 में कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी चुनाव जीते थे। विधान सभा के गठन के बाद से ही मझवां सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा था जहां 1952 में कांग्रेस के बेचन राम, 1957 में कांग्रेस के बेचन राम, 1960 में कांग्रेस के बेचन राम, 1962 में भारतीय जनसंघ के राम किशुन, 1967 में फिर कांग्रेस के बेचन राम, 1969 में कांग्रेस के बेचन राम,1985 में कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी तक यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। इसके बाद 1989 में जनता दल के रुद्र प्रसाद, 1991 में बसपा के भागवत पाल, 1993 में बसपा के भागवतपाल, 1996 में भाजपा के रामचंद्र, 2002 में बसपा के डॉक्टर रमेश चंद बिंद, 2007 में बसपा के रमेश चंद बिंद, 2012 में बसपा के रमेश चंद बिंद, 2017 में भाजपा के टिकट पर सुचिष्मिता मौर्य ने चुनाव जीता, 2022 में निषाद पार्टी के विनोद बिंद ने चुनाव जीता। माना जाता है की मझवां सीट पर पिछड़ा वर्ग ही जीत तय करता है। जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस सीट पर दलित, ब्राह्मण, बिंद वोटरों की संख्या करीब 60-60 हजार है। इनके अलावा कुशवाहा वोटर 30 हजार, पाल 22 हजार, राजपूत 20 हजार, मुस्लिम 22 हजार, पटेल 16 हजार हैं। इस बार भी बीजेपी ने ब्रह्मण- बिंद बाहुल्य सीट पर पिछड़ा वर्ग का उम्मीदवार दिया है। अपने अस्तित्व के समय से ही इस सीट पर ब्राह्मण, दलित और बिंद बिरादरी का बर्चस्व है। मिर्जापुर से लगातार तीसरी बार NDA से अपना दल एस प्रमुख अनुप्रिया पटेल सांसद बनी हैं। इस सीट पर बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी उतार कर इसे त्रिकोणी बना का दिया है। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डॉक्टर ज्योति बिंद 2017 में अपने पिता के हार का बदला लेने के इए बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्या के सामने पूरे दमखन से खड़ी है।