मदरसे और स्कूल में क्या होता है अंतर, किसके पैसे से चलते हैं मदरसे

मदरसे और स्कूल में क्या होता है अंतर किसके पैसे से चलते हैं मदरसे

प्रखर डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मदरसों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले के उलट मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक करार दिया है। आपको बता दें 2004 में मदरसा एक्ट बनाया गया था। इसके तहत सभी मदरसे सरकार के नियमों के अधीन रखे गए हैं। मुस्लिम लीडर्स और मौलानाओं का तर्क था कि अगर मदरसे खत्म कर दिए गए तो मजहब से जुड़ी तालीम नहीं मिल पाएगी। दरअसल, ‘मदरसा’ एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है पढ़ने का स्थान। मदरसे एक तरह से इस्लामिक विद्यालय हैं। मदरसों में पढ़ाई का तरीका और पाठ्यक्रम अलग-अलग होते हैं, जो उनके संबद्ध बोर्ड, प्रबंधन और शिक्षण पद्धति पर निर्भर करते हैं। धार्मिक शिक्षा में कुरान, हदीस, तफसीर, फिकह और इस्लामिक इतिहास जैसे धार्मिक विषयों की शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा अरबी भाषा बोलने, लिखने और समझने का प्रशिक्षण दिया जाता है। अच्छे नागरिक बनने और समाज में योगदान करने के लिए आवश्यक मूल्यों का विकास और नैतिक शिक्षा भी दी जाती है। स्कूलों में सामान्य तौर पर प्राइमरी, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट और उसके बाद ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन के आधार पर पढ़ाई होती है लेकिन मदरसों में तहतानिया, फौकानिया और आलिया के स्तर पर तालीम दी जाती है। मदरसों में प्राइमरी स्कूलों को तहतानिया, जूनियर हाईस्कूल लेवल की पढ़ाई को फौकनिया कहते हैं। इसके बाद आलिया की पढ़ाई होती है। इसमें मुंशी- मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल की पढ़ाई होती है। मदरसों में मजहबी शिक्षा के अलावा अन्य सब्जेक्ट भी होते हैं। लेकिन इन सब्जेक्ट के नाम उर्दू में ही होते हैं। उदाहरण के लिए, मुंशी से लेकर फाजिल तक बच्चे हिंदी, गृह विज्ञान, सामान्य हिंदी, विज्ञान के साथ ही मुताल-ए-हदीस, मुताल-ए-मजाहिब, फुनूदे अदब, बलागत, मुताल-ए-फिक्ह इस्लामी, मुताल-ए-उसूले फिक्ह की पढ़ाई करते हैं। बतादें कि दो तरह के मदरसे होते हैं। एक वो होते हैं, जो चंदे पर चलते हैं। दूसरे वो होते हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिलती है। यूपी में तीन तरह के मदरसे हैं। एक जिनका मदरसा पोर्टल में रजिस्ट्रेशन है। ऐसे मदरसे 16513 हैं। इनमें करीब 18 लाख बच्चे पढ़ते हैं। ये सभी मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। मदरसा पोर्टल में रजिस्ट्रेशन वाले 16513 मदरसो में से 558 मदरसे एडेड है। इनमें सरकार टीचर, स्टाफ की सैलरी, छात्रों को NCERT किताबे और मिड डे मील देती है। दूसरे मदरसे ऐसे हैं जो सेल्फ फंडेड 15,953- चंदे से मिले पैसों से चलते हैं लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन सरकारी पोर्टल पर होता है और ये सरकारी गाइड लाइन के हिसाब से चलते हैं। इसके अलावा यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसे भी चलते हैं जो मदरसा पोर्टल में नहीं हैं, ऐसे ही मदरसों का सरकार ने सर्वे कराया है। 2017 में योगी सरकार बनने के बाद मदरसा पोर्टल बनाया गया जिससे फर्जी मदरसे न चल सके। पोर्टल का नतीजा ये हुआ कि बड़े पैमाने पर फर्जी मदरसे बंद हो गए। 2017 के पहले यूपी में 22 हजार से ज्यादा मान्यता प्राप्त  मदरसे थे जो पोर्टल बनने के बाद 16500 रह गए। मदरसों में बच्चे नकल न कर सके इसके लिए सेंटर्स में वेब कैमरे लगाए गए। यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराया गया जिनमे मदरसों को मिलने वाले चंदे पर भी सवाल हुए। सरकार ने मदरसों को मिलने वाले चंदे की SIT जांच के भी आदेश दिए इसके बाद इन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया था।