अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में पिछड़ों, दलितों को आरक्षण क्यों नहीं – योगी आदित्यनाथ
प्रखर डेस्क। मुख्य न्यायधीश ने यह सुनिश्चित किया कि AMU की विशेष मुस्लिम पहचान और सांस्कृतिक महत्व को बनाए रखते हुए, उसे भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित आरक्षण नीति और अन्य प्रावधानों का पालन करना होगा, जो विशेष रूप से आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने राजनीतिक दाव फेंकते हुए सवाल किया है कि AMU में गरीबों और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को आरक्षण क्यों नहीं मिलता, जबकि यह विश्वविद्यालय केंद्र सरकार के पैसों से चलता है। योगी आदित्यनाथ का यह बयान विशेष रूप से इस मुद्दे को लेकर था कि AMU, जो केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करता है, वहां पर भी भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण के प्रावधानों का पालन क्यों नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि AMU, जो एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, को केंद्र सरकार से पैसे मिलते हैं, इसलिए यहां पर आरक्षण नीति का पालन होना चाहिए ताकि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर मिल सकें। यह बयान खास तौर पर AMU के प्रशासन और विश्वविद्यालय के समर्थकों के लिए विवादास्पद हो सकता है, क्योंकि AMU का अपना इतिहास और संस्कृति है, और यह अपनी पहचान को लेकर अपनी विशेष स्थिति का समर्थन करता आया है। योगी आदित्यनाथ के इस बयान में भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित आरक्षण की बात की गई है, जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों (OBCs) के लिए शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था करता है। इस संदर्भ में, योगी आदित्यनाथ का तर्क यह था कि केंद्र सरकार के वित्तीय योगदान के बावजूद, AMU में ऐसे वर्गों के लिए आरक्षण क्यों नहीं दिया जाता। इस पर प्रतिक्रिया विभिन्न राजनीतिक और शैक्षिक समूहों से मिली है, जिनमें AMU के छात्र और शिक्षक संघ भी शामिल हैं। मुख्य न्यायधीश चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा है कि AMU को अल्पसंख्यक समुदाय के हित में बने विश्वविद्यालय के रूप में “संविधान की धारा 30” के तहत विशेष अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि AMU को अन्य सामान्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों से अलग कर दिया जाएगा। वह इस बात पर जोर दिए थे कि AMU में संविधानिक आरक्षण और अन्य शैक्षिक प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए।