BHU कुलपति की मनमानी बीएचयू में महिला सशक्तिकरण पर सवाल, पुस्तकालय की नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी!
प्रखर वाराणसी। बीएचयू में विशेषाधिकार के तहत कुलपति के निर्णयों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसकी सुनवाई होनी है। इन दिनों बीएचयू में नियुक्ति और प्रमोशन को लेकर लगातार खबरें प्रकाश में आ रही हैं, और कई मामले कोर्ट में लंबित हैं। हाल ही में देखा गया कि एक स्कूल की प्रिंसिपल को प्रोफेसर के इंटरव्यू के लिए चयन समिति में विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था, जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया। इसी तरह बांसुरी, वायलिन और तबला वादक ने सितार वादक का इंटरव्यू लिया गया है।
ताजा मामला लाइब्रेरी से संबंधित भर्ती और प्रमोशन का है, जहां यूजीसी के 2018 के नियमों का उल्लंघन कर मनमाने तरीके से डिप्टी लाइब्रेरियन का इंटरव्यू लिया गया। नियमानुसार (UGC रेगुलेशन 2018, 6.III) महिला उम्मीदवार होने के बावजूद चयन समिति में कोई महिला सदस्य नहीं थी। डिप्टी लाइब्रेरियन के प्रमोशन के इंटरव्यू में भी वही चयन समिति रखी गई, जिसमें कुल 7 लोग शामिल हुए, जिनमें 2 महिला उम्मीदवार थीं।
यूजीसी के नियमों को दरकिनार कर चयन समितियां बनाने का सिलसिला यहीं नहीं रुका। यह तब और बढ़ गया जब लाइब्रेरी साइंस की एकमात्र महिला उम्मीदवार के प्रोफेसर पद के प्रमोशन के लिए कोई बाहरी प्रोफेसर विशेषज्ञ नहीं था, और इंटरव्यू लाइब्रेरियन द्वारा लिया गया। जानकारी के अनुसार, न तो किसी महिला उम्मीदवार को प्रमोशन दिया गया और न ही डिप्टी लाइब्रेरियन पद के लिए चयन किया गया। एक तरफ जहां देश में महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है, वहीं महिला उम्मीदवारों के साथ ऐसा भेदभाव और नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है इसके लिए भी कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। पारदर्शिता की स्थिति यह है कि किसी भी चयन का परिणाम वेबसाइट पर नहीं डाला जा रहा है, जिसके कारण अभ्यर्थियों को परिणाम के लिए भटकना पड़ रहा है और सार्वजनिक डोमेन में परिणाम डाले बिना चुपके से नियुक्ति पत्र जारी किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, डिप्टी लाइब्रेरियन के लिए ओबीसी और जनरल में 1-1 पद होने के बावजूद केवल ओबीसी अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र दिया गया है और जनरल की सीट को खाली छोड़ दिया गया है (एनएफएस)। किस नियम के तहत ये फैसले लिए गए, इसकी कोई जानकारी न तो साक्षात्कार से पहले दी गई और न ही साक्षात्कार के बाद। ओबीसी में केवल 03 अभ्यर्थी थे, जबकि जनरल में 06 और ओबीसी के 02 अभ्यर्थी जनरल में भी थे। इस प्रकार जनरल की सीट के लिए कुल 08 लोगों ने साक्षात्कार दिया और ओबीसी के लिए केवल 03।
वीसी को विशेषाधिकार के तहत आपातकालीन स्थिति में कार्यकारी परिषद (ईसी) के ना होने पर शक्तियां दी गई हैं, परंतु बिना किसी औचित्य के, वीसी मनमाने तरीके से नियमों की अनदेखी कर चयन और वित्तीय फैसले ले रहे हैं, जो जांच का विषय है। मंत्रालय भी सबकुछ जानते हुए अनभिज्ञ बना हुआ है।