यूपी कालेज वक्फ विवाद – धार्मिक से ज्यादा राजनैतिक!
प्रखर वाराणसी। उदय प्रताप कॉलेज में अवैध मस्जिद और मजार को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब 2018 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने कॉलेज परिसर की जमीन पर अपना दावा जताते हुए एक नोटिस जारी किया था। हालांकि, वक्फ बोर्ड ने 2021 में यह दावा वापस ले लिया। लेकिन हाल ही में यह मामला फिर से सामने आ गया है। इसका बड़ा कारण पूरा छात्रों द्वारा मौजूदा प्रबंध समिति के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी देना। मजार और अवैध मस्जिद विवाद के बीच यह मामला अब खुले तौर पर राजनैतिक हो गया है। मामला 21 में ही खत्म हो गया था। दोबारा इसे हवा दिया गया है। इस मामले को हवा देने वाले क्या मंशा रखते हैं यह जांच का विषय है। इस पूरे प्रकरण के दौरान छात्रों ने नमाज के खिलाफ मजार पर हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश की, जिससे तनाव बढ़ गया और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। पूरे विवाद के मुख्य बिंदु है कॉलेज परिसर में एक पुरानी मजार थी, जिसे बाद में अवैध रूप से मस्जिद का रूप दिया गया। हालांकि, कॉलेज प्रबंधन के अनुसार, न तो सरकारी दस्तावेजों में और न ही खसरा-खतौनी में इसका कोई उल्लेख है।इस संदर्भ में छात्रों का कहना है कि मस्जिद परिसर में अवैध है और यहां बड़े पैमाने पर लोगों का नमाज पढ़ना अनुचित है। जुमे की नमाज के लिए सैकड़ों लोगों के जुटने से कॉलेज में तनाव बढ़ गया। कालेज में तनाव पर बात करते हुए प्राचार्य धर्मेंद्र कुमार सिंह ने मस्जिद को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि इसे प्रबंध समिति के समक्ष उठाया जाएगा। उन्होंने अपील की है कि नमाज पढ़ने वाले परिसर में न आएं ताकि शांति बनी रहे। फिलहाल, कॉलेज प्रबंधन और प्रशासन इस मामले में शांति बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। इस पूरे विवाद पर पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर परिसर में बल तैनात किया है और छात्रों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं। 9 छात्रों को हिरासत में लिया गया था, और प्रशासन से अपील की गई है कि शांति भंग न हो। यह मामला अब केवल धार्मिक या प्रशासनिक विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दा बन गया है और मौजूदा प्रबंध समिति इस मामले पर जानबूझ कर चुप्पी साधे हुए है और अपनी नाकामियों को इस विवाद के सहारे मिटा लेना चाहती है।