दक्षिणांचल और पूर्वांचल में बिजली के निजीकरण की तैयारी पूरी कैबिनेट के फैसले के बाद शुरू होगी प्रक्रिया!!
प्रखर डेस्क। बिजली विभाग को सुधार के नाम पर निजी क्षेत्र में सौंपने की तैयारी पूरी हो गई है। इसके लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण का रास्ता साफ कर दिया है। इस फैसले के साथ ही निजीकरण के मसौदे (आरएफपी) को कैबिनेट से मंजूरी मिलने का रास्ता साफ हो गया है । इसके लिए दोनों निगमों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने निजीकरण के लिए नए सिरे से कंपनी बनाने और अन्य निर्णय लेने के लिए यूपीपीसीएल प्रबंधन को अधिकृत कर दिया है। कल यानी 10 दिसंबर मंगलवार को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही निजीकरण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। बिजली विभाग के सरकारी कर्मचारी अगले 6 महीने तक कोई हड़ताल नहीं कर सकते हैं इसके लिए सरकार ने पहले ही इंतजाम कर दिए हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम प्रदेश में विद्युत वितरण क्षेत्र में सुधार और निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पहले उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर कर यूपीपीसीएल निदेशक मंडल और ऊर्जा टास्क फोर्स द्वारा आरएफपी को मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन अब यूपीपीसीएल प्रबंधन ने नया रास्ता निकालते हुए दोनों निगमों के निदेशक मंडल से विद्युत वितरण के निजीकरण के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार हासिल कर लिया है। अब सवाल यह है कि सुधार के नाम पर निजीकरण का रास्ता सीधे बिजली कंपनियों की मनमानी की तरफ ले जाएगा। जैसे सरकारी कर्मचारी और सरकार की उदासीनता के कारण बीएसएनल को खत्म कर निजी क्षेत्र की कंपनियों को संचार व्यवसाय में शामिल किया गया था। बिजली विभाग के कर्मचारी संगठनों का कहना है कि शुरुआती लालच के बाद कंपनियां अपने फायदे के लिए नए नियम बनाने लगती हैं। ऐसा ही कुछ बिजली के निजीकरण के बाद भी हो सकता है।