किन्नर को दुष्कर्म के मामले में 20 साल की कठोर सजा!!

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किन्नर को दुष्कर्म के मामले में 20 साल की कठोर सजा

प्रखर डेस्क। आप सोच रहे होंगे कि आखिर एक किन्नर कैसे दुष्कर्म कर सकता है। तो क्यों नहीं जब एक मनुष्य पशुता की हदें पार कर सकता है तो कोई किन्नर क्यों नहीं। मामला बरेली का है। जहां की अदालत ने एक किन्नर को 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। जिसमें किन्नर को यह सजा 2 साल पहले 7 साल की मासूम से दुष्कर्म के आरोप में पॉक्सो की विशेष अदालत ने सुनाई है। जिस वक्त कोर्ट ने किन्नर को सजा सुनाई तो वह कोर्ट के भीतर कम सजा देने की गुहार लगाकर दहाड़े मार-मार कर रोने लगा। फिलहाल अदालत के आदेश के बाद पुलिस ने उसे सलाखों के पीछे भेज दिया है। दरअसल, मासूम से दुष्कर्म की दिल को झकझोर देने वाली यह घटना आज से 2 साल पहले थाना मीरगंज इलाके में हुई थी। फरीन नाम के किन्नर ने अपने पड़ोस में रहने वाली 7 साल की मासूम बच्ची को खीरा, टॉफी और चॉकलेट देने के बहाने अपने घर ले गया। इस दौरान फरीन किन्नर ने मासूम से हैवानियत की हदें पार कर दी। जब मासूम घर पहुंची तो उसके प्राइवेट पार्ट से रक्तस्राव हो रहा था। पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर किन्नर फरीन के खिलाफ पॉक्सो और दुष्कर्म की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। किन्नर ने अपने बचाव में कोर्ट में कहा, ‘मैं जन्म से महिला किन्नर हूं, मुझे झूठा फंसाया गया है, मैं निर्दोष हूं। सोमवार को विशेष अदालत पॉक्सो के न्यायाधीश उमाशंकर कहार ने दुष्कर्म के आरोपी किन्नर फरीन को 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि खुद को महिला किन्नर बताने वाले फहीम की डाक्टरी रिपोर्ट में वह किन्नर नहीं बल्कि पुरुष निकला है। खुद को बचाने के लिए उसने किन्नर होने का ढोंग रचता रहा लेकिन आखिर कानून ने उसे सजा देकर उस 7 साल की बच्ची के साथ न्याय किया है। इस संदर्भ में शासकीय अधिवक्ता का कहना है कि ऐसे मामलों में कठोर सजा आवश्यक होती है। जिससे अन्य अपराधियों में कानून का डर पैदा हो सके।