कैंसर वाली चाय! पत्थर और केमिकल से बन रही चाय पत्ती आप भी तो नहीं पी रहे फ्लेवर्ड चाय
– एसटीएफ की छापेमारी 11000 किलो नकली चाय पत्ती बरामद 18 जिलों में सप्लाई
प्रखर डेस्क। चाय के शौकीनों के लिए बुरी खबर है। बाजार में अब धड़ल्ले से नकली चाय पत्ती बेची जा रही है। लखनऊ में एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी में नकली चाय पत्ती बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है। यहां केमिकल और सेंडस्टोन (बलुआ पत्थर) मिलाकर चायपत्ती तैयार की जा रही थी। इसे अलग-अलग नाम के रैपर में पैक कर लखनऊ और आसपास के जिलों में बेचा जा रहा था। सोमवार की रात को एसटीएफ की मदद से फैजुल्लागंज स्थित तीन मंजिला फैक्ट्री पर छापा मारा गया।
फैक्ट्री मड़ियांव थाना क्षेत्र के फैजुल्लागंज में स्थित थी फैक्ट्री से छापेमारी टीम को 11 हजार किलो नकली चायपत्ती, सिंथेटिक कलर और सेंडस्टोन बरामद किया है। बतादें कि नकली चायपत्ती से कैंसर जैसी बीमारी का खतरा होता है। छापेमारी में बरामद किए गए रसायनो से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी ही सकती है। बरामद नकली चाय पत्ती की कुल कीमत तकरीबन 13 लाख रुपए आंकी गई है। यह फैक्ट्री किसी आरिफ नाम के व्यक्ति की है।
कार्रवाई के दौरान आरोपी फरार हो गया।सवाल यह खड़ा होता है कि जब तीन मंजिला गोदाम में इतने बड़े स्तर पर नकली चाय पत्ती का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा था, तो इसकी भनक जिम्मेदार अधिकारियों को क्यों नहीं लगी? इस बारे में खाद्य सुरक्षा विभाग (FSDA) के अधिकारी डॉ. विजय प्रताप सिंह का कहना है कि दो महीनों से नकली चायपत्ती की बिक्री की शिकायतें मिल रही थीं। छापेमारी में यह बात सामने आई कि फैक्ट्री में बिना ब्रांड रजिस्ट्रेशन के पैकेट तैयार किए जा रहे थे।जिसे आसपास के जिलों में बेचा जा रहा था। सवाल यह उठता है कि बिना GST और बिक्री दस्तावेज के यह माल बाजार तक कैसे पहुंच रहा था? क्या इसमें संबंधित विभागों के अधिकारी,डीलर के साथ – साथ खुदरा विक्रेता भी इस गोरखधंधे में शामिल नहीं हैं? थोड़े से लाभ के लिए इन लोगों ने अपने उपभोक्ताओं को मौत के मुंह में धकेल दिया है।